खाली सीटों पर प्रवेश
सूत्रों के अनुसार जिले में गत पांच वर्ष या इससे पूर्व में हुई भर्तियों में अधिकांश अभ्यर्थियों की डिग्रियां बाहरी राज्यों की हैं। बाहरी राज्यों की डिग्रियों में ही असल खेल होता है। यह डिग्रियां नियमित स्टूडेंट्स की होती हैं। लेकिन, अधिकांश अभ्यर्थी एजेंटों के मकडज़ाल में फंस कर उनको मुंह मांगे दाम देकर घर बैठे ही प्राप्त कर लेते हैं। बाहरी राज्यों में एसटीसी, बीएड, पीटीआई आदि पाठ्यक्रमों में खाली सीटों पर प्रदेश के अभ्यर्थियों को प्रवेश दे दिया जाता है। कई बार एजेंट फिंगर एवं परीक्षा दिलवाने उनके स्तर पर ले जाते हैं और यह परीक्षा भी महज औपचारिक होती है।
लंबे समय से चल रहा खेल
जनजाति बाहुल्य डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिलों के कई बेरोजगार मध्यप्रदेश, गुजरात एवं उत्तरप्रदेश से एजेंटों के जरिये डिग्रियां हासिल कर रहे हैं। डूंगरपुर जिला मुयालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कई एजेंट सक्रिय भी हैं, जो अभ्यर्थियों का विश्वविद्यालय में डमी नामांकन कराने के साथ ही परीक्षा की औपचारिकताएं पूरी करवा कर मोटे दामों पर डिग्रियों का सौदा कर रहे हैं। कई एजेंटों ने कार्यालय तक खोल रखे हैं। ये डिग्रियों के सत्यापन की गारंटी तक देते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आने के बावजूद इन पर सख्ती से कार्रवाई नहीं हो पाने से एजेंटों का जाल बढ़ता जा रहा है, जिसके शिकार कई परिवार हो रहे हैं। इधर, बताया जाता है कि 2022 से पूर्व के वर्षों में भी बीपीएड के साथ ही लेब असिस्टेंड, लाइब्रेरियन, बेसिक कप्यूटर प्रशिक्षण से जुड़ी डिग्रियां भी घर बैठे हासिल करने की शिकायतें समय-समय पर शिक्षा विभाग तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन जांच के नाम पर औपचारिकताओं के चलते खुलासे स्थानीय स्तर पर नहीं हो पाए।
अधिकारियों का कहना है…
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक नीरज जोशी का कहना है कि एसओजी की कार्रवाई का मामला संज्ञान में आया हैं। हम स्थानीय स्तर पर प्रकरण को दिखवा रहे है। इसके साथ ही विभागीय निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई करेंगे। वहीं इधर, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी रणछोड़लाल डामोर से संपर्क करने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। इधर, महकमे में भी यह मामला चर्चा में रहा