यह विचार संत रामभद्राचार्य ने श्रीराम परिवार दुर्गा पूजा समिति और एकल श्रीहरि वनवासी फाउंडेशन के सहयोग से पैलेस ग्राउंड के प्रिंसेस श्राइन में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के समापन समारोह में व्यक्त किए।
समापन दिवस पर श्रीराम के राज्याभिषेक प्रसंग की कथा सुनते ही श्रद्धालुओं में उल्लास की लहर दौड़ गई। संपूर्ण पंडाल जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा और वातावरण राममय हो गया।
रामकथा के प्रमुख प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन
संत रामभद्राचार्य ने कथा के विभिन्न प्रसंगों राम-हनुमान मिलन, सुग्रीव से मित्रता, बाली वध, अंगद का युवराज अभिषेक, हनुमान द्वारा लंका यात्रा व सीता मिलन, लंका दहन, सेतु निर्माण, रावण वध का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार श्रीराम ने धर्म और मर्यादा के पथ पर चलते हुए अधर्म का विनाश किया। उन्होंने कहा कि शबरी ने प्रभु श्रीराम को सुग्रीव के पास भेजा, जहां से लंका विजय की यात्रा आरंभ हुई। हनुमान, प्रभु के आज्ञाकारी भक्त के रूप में लंका पहुंचे, माता सीता से मिले और राम का संदेश देकर लंका दहन कर लौटे। तत्पश्चात, वानर सेना की सहायता से सेतु निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की गई और रावण का अंत कर सीता माता की मुक्ति संभव हुई। अंततः विभीषण को लंका का राजा बनाकर राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे।
प्रभु श्रीराम भारत की आत्मा हैं: मुणोत
समाजसेवी महेंद्र मुणोत ने श्रीराम को भारत की आत्मा बताते हुए कहा, प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलकर ही हम जीवन को सार्थक और कृतार्थ बना सकते हैं। समारोह की शुरुआत में आचार्य रामचंद्र दास ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मुख्य यजमान जसराज महेंद्रकुमार वैष्णव के साथ मिथिलेश तिवारी और अजय पांडेय ने पादुका पूजन किया। लाभार्थी सुरेश बर्फा भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में उत्सव यजमान संजय अग्रवाल, मीना अग्रवाल, राजस्थान भाजपा प्रवासी प्रकोष्ठ अध्यक्ष श्रीकुमार लखोटिया, ताराचंद गोयल, बाबूलाल गुप्ता, सचिन-पूजा पांडिया, सुरेश मोदी, राजू सुथार, सचिव अजय प्रकाश पांडेय सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।