बता दें कि देशभर से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां
महाशिवरात्रि, श्रावण मास और बैशाख माह सहित अन्य पर्वों पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बढ़ती भीड़ और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं को देखते हुए कॉरिडोर निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई थी, जिसमें सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं और धार्मिक वातावरण को सुदृढ़ करने की योजनाएं शामिल थीं। लेकिन अब तक यह परियोजना फाइलों में ही दबी पड़ी है।
इधर, अतिक्रमण जस का तस
मंदिर के बाहर वर्षों से चला आ रहा अतिक्रमण अब भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। शिवभक्त कई बार ज्ञापन और मांगें कर चुके हैं कि इन्हें हटाया जाए, ताकि कॉरिडोर निर्माण की दिशा में कार्य आगे बढ़ सके, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों और शिवभक्तों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। लोगों का कहना है कि यह परियोजना धार्मिक और पर्यटन दोनों ²ष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह सपना अधूरा रह गया है।
पिछले साल हुआ था निरीक्षण
पिछले वर्ष पर्यटन एवं धर्मस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई बार बांदकपुर पहुंचकर निरीक्षण किया था। ड्राइंग, डिजाइन और बजट पर भी बैठकें हुईं। लेकिन उसके बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस पर बोलने को तैयार नहीं है। जिम्मेदार भी मौन साधे हुए हैं।