कार्यक्रम के अनुसार वेबसाइट को कैसे बनाया जाता है। वह कैसे दिखेगी, स्ट्रक्चर क्या रहेगा। कौन एक्सेस कर सकता है, कैसे कंटेट अपलोड कर सकते हैं, मीडिया अपलोड, विज्ञापन सहित अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर वेबसाइट डेव्हलपिंग का कार्य सिखाया जाएगा। इसमें प्रोग्रामिंग लेंग्वेज और कोडिंग टेक्स्ट से कैसे वेबसाइट डेव्हलप होती है, आसानी से समझाया जाएगा। इसके लिए ३० दिन में ४० घंटे का प्रशिक्षण होगा। यह प्रशिक्षण आईटी सेक्टर में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए लाभदायी रहेगा।
दूसरा प्रशिक्षण जावा स्क्रिप्ट कोर्स होगा। इसके लिए भी २५ दिन की कक्षाएं निर्धारित की गई है। एचटीएमएल और सीएफएस के माध्यम से पूरा प्रशिक्षण होगा। जावा के लिए वेसिंग फंडामेंटर कोर्स ७ दिन का पूरा भी हो चुका है। अब आगे का कोर्स समझाया जाएगा। इसके भी अनेक फायदे हैं।
कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्राध्यापक सुरेंद्र कुर्मी ने बताया कि इस दोनों कोर्स को १०वीं तक की योग्यता वाले छात्र-छात्राओं को रखा गया है। २५-२५ सीट दोनों में है। जिसके लिए १० जून तक रजिस्ट्रेशन ओपन रखा गया है। इसके फायदे बहुत हैं। कोर्स के बाद बच्चे वेब डेव्हलपर, वेबसाइट मेंटेन करने का काम , वेबसाइट अपडेशन, वेबसाइट बनाने का का शुरू कर सकते है। इसके अलावा प्रमाणपत्र के आधार पर प्लेसमेंट भी तलाश सकते हैं। इसकी कक्षाएं १६ जून से शुरू हो सकती हैं।