इन कर्मियों का असली ध्यान कानून व्यवस्था संभालने की बजाय शहर में वसूली और संदिग्ध गतिविधियों के संचालन में ज्यादा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह पुलिसकर्मी खुद को अपने थाना प्रभारी से भी ऊपर समझते हैं और उनकी बातों को भी नजरअंदाज करते हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इन कर्मियों की करतूतें अब जनप्रतिनिधियों के लिए भी परेशानी का कारण बन गई हैं। लगातार आ रही शिकायतों से प्रशासन भी दबाव में है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
मामले में जब पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी से बात करने की कोशिश की गई, तो संपर्क नहीं हो सका। हालांकि एएसपी संदीप मिश्रा से जब इस संदर्भ में चर्चा की गई, तो उन्होंने कहा, “यदि कोई भी पुलिस कर्मचारी अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, तो उस पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि मिश्रा ने भी इस पूरे मामले में ज्यादा कुछ बोलने से परहेज किया।
सवाल यह है कि जब पुलिस के ही कुछ कर्मी व्यवस्था को पलीता लगा रहे हों, तो फिर आमजन किससे न्याय की उम्मीद करें?