कोठारी ने महिला सशक्तिकरण के नारे को लेकर कहा कि वह तो शक्ति और देने वाली है, उसे शक्ति कौन देगा। मां संतान के लिए त्रिकालदर्शी है, वह साधारण कहां है? वह इंसान बना रही है, आत्मा का निर्माण कर रही है। मां की परिवार की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि चिंता की बात है, अब मां की भूमिका खत्म हो रही है। आज मां इंसान नहीं बना पा रही। उसे पता ही नहीं है, उसमें क्या बदलाव हो रहा है और कैसे बदल रही है?
कोठारी ने कहा कि हमें पुरुषत्व व मातृत्व को समझना होगा और उसके साथ जीना होगा। उन्होंने कहा कि आज शादी की आयु बदल गई, पढ़ाई के कारण यह नुकसान हुआ है। उसी से आइवीएफ, तलाक और कैंसर जैसे विषय सामने आए हैं। संतान कोई पैदा ही नहीं करना चाहता। इन सभी के परिणाम स्त्री के लिए दु:खद हैं। पुरुष को कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा और स्त्री उसी पुरुष से मांग रही है। अच्छे परिवार तैयार करने के लिए इन विषयों को समझना होगा।