चार साल पहले लगा सेंट्रल एसी, अब शोपीस तीन सौ बिस्तरों वाले इस जिला अस्पताल में चार साल पहले मरीजों की सुविधा के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर सेंट्रल एसी सिस्टम लगाया गया था, लेकिन आज वह शोपीस बनकर दीवारों और सीलिंग की शोभा बढ़ा रहा है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने इस व्यवस्था को पूरी तरह ठप कर दिया है।वार्डों में पंखे बंद, कूलर सिर्फ दिखावे के
अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर स्थिति और भी भयावह है। कई वार्डों में तो पंखे तक काम नहीं कर रहे, और जहां एक-दो पंखे चल भी रहे हैं, वहां से गर्म हवा की लपटें निकल रहीं हैं। मरीजों को राहत देने के लिए जो कूलर लगाए गए हैं, वे भी घरों में चलने वाले छोटे कूलर हैं, जिनकी हवा पूरे वार्ड तक पहुंच ही नहीं पाती। इधर, गर्मी से बचने के लिए, लोग बरामदों के फर्श पर पड़े हैं और अपना समय काट रहे हैं।
एसी सिर्फ अफसरों के लिए, मरीज बेहाल विडंबना देखिए कि जहां एक ओर मरीज गर्मी से बिलबिला रहे हैं, वहीं अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर, स्टाफ नर्सों और सिविल सर्जन कार्यालय में एसी पूरी ठंडक के साथ चालू हैं। यानी सुविधाएं उन्हीं के लिए हैं जो इलाज कर रहे हैं, उन बीमारों के लिए नहीं जिन्हें इलाज की सबसे ज़्यादा जरूरत है। इधर, इस व्यवस्था पर कोई बोलने वाला नहीं है। बुज़ुर्ग, महिलाएं, बच्चे और गंभीर रोगों से जूझते मरीज, जिन्हें हर संभव राहत मिलनी चाहिए, वे आज पसीने में भीगते हुए अस्पताल में दिन-रात काट रहे हैं। मरीजों की यह हालत अस्पताल के सिस्टम की एक जीवंत तस्वीर पेश कर रही है।वर्जन
सेंट्रल एसी की मरम्मत कराई गई थी, जो बार बार खराब हो रहा है। इसके अलावा किराए के कूलर भी मंगाए गए। अस्पताल प्रबंधन द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है।सुरेंद्र विक्रम सिंह, प्रबंधक जिला अस्पताल