अंचलों में मशीनों से हो रहा काम
मनरेगा योजना के तहत १०० दिन का रोजगार मजदूरों को दिलाए जाने का प्रावधान कागजों तक सीमित है। हाथों की जगह मशीनों से काम कराए गए हैं। यही कारण है कि गांव में काम न मिलने से युवा बेरोजगार बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं। वहीं, अभी मनरेगा के कार्य बंद चल रहे हैं। इससे प्रतिदिन मजदूर टे्रनों व बसों के माध्यम से पलायन कर रहे हैं।कोरोना महामारी के दौरान महानगरों से लाखों मजदूर वापस गांव लौटे थे। सभी की अपनी-अपनी कहानियां थीं। उस दौरान प्रशासन ने एक डाटा एकत्र किया था, जिसमें लगभग सवा लाख मजदूर ङ्क्षचहित हुए थे। हालांकि अब इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो गई है। इस वजह से प्रशासन इनकी जानकारी जुटाने में लगा है।
रोजगार की कमी, नहीं है बड़े उद्योग
जिले में पलायन को रोकने के लिए प्रशासन स्तर पर कोई ठोस प्लाङ्क्षनग नहीं है। वहीं, बड़े उद्योगों का भी टोटा है। काम के नाम पर दिहाड़ी मजदूरी ही है, लेकिन मजदूरी कम होने के कारण मजदूरों को काम रास नहीं आ रहे हैं। गांवों में महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए समूह बनाए गए हैं, लेकिन अधिकांश समूह निष्क्रिय हैं। चंद समूह ही काम कर रहे हैं।सुधीर कुमार कोचर, कलेक्टर दमोह