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काम की तलाश में जाने से पूर्व पंचायतों में करानी होगी एंट्री, बताना होगा कारण

दमोह जिले से दिल्ली, मुंबई, गुजरात जैसे बड़े शहरों में काम की तलाश में जाने वाले ग्रामीण मजदूरों की संख्या लाखों में हैं। हालांकि जिला प्रशासन के पास पलायन करने वाले मजदूरों का डाटा नहीं है। कलेक्टर ने इसी को लेकर हालही में एक निर्देश जारी किए हैं। इसमें सभी ग्राम पंचायतों को निर्देशित किया […]

दमोहJul 11, 2025 / 02:03 am

हामिद खान

काम की तलाश में जाने से पूर्व पंचायतों में करानी होगी एंट्री,

काम की तलाश में जाने से पूर्व पंचायतों में करानी होगी एंट्री,

दमोह जिले से दिल्ली, मुंबई, गुजरात जैसे बड़े शहरों में काम की तलाश में जाने वाले ग्रामीण मजदूरों की संख्या लाखों में हैं। हालांकि जिला प्रशासन के पास पलायन करने वाले मजदूरों का डाटा नहीं है। कलेक्टर ने इसी को लेकर हालही में एक निर्देश जारी किए हैं। इसमें सभी ग्राम पंचायतों को निर्देशित किया है कि गांव से जितने भी ग्रामीण काम की तलाश में बाहर जा रहे हैं। उनकी जानकारी एकत्र करें। पंचायतों में बुलाएं या फिर डोर टू डोर जानकारी जुटाएं।
बता दें कि जिले में बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन कर रहे हैं, लेकिन उनका डाटा प्रशासन के पास नहीं है। हैरानी की बात यह है कि जिले में पलायन नहीं रुक रहा है।

अंचलों में मशीनों से हो रहा काम

मनरेगा योजना के तहत १०० दिन का रोजगार मजदूरों को दिलाए जाने का प्रावधान कागजों तक सीमित है। हाथों की जगह मशीनों से काम कराए गए हैं। यही कारण है कि गांव में काम न मिलने से युवा बेरोजगार बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं। वहीं, अभी मनरेगा के कार्य बंद चल रहे हैं। इससे प्रतिदिन मजदूर टे्रनों व बसों के माध्यम से पलायन कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के दौरान महानगरों से लाखों मजदूर वापस गांव लौटे थे। सभी की अपनी-अपनी कहानियां थीं। उस दौरान प्रशासन ने एक डाटा एकत्र किया था, जिसमें लगभग सवा लाख मजदूर ङ्क्षचहित हुए थे। हालांकि अब इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो गई है। इस वजह से प्रशासन इनकी जानकारी जुटाने में लगा है।

रोजगार की कमी, नहीं है बड़े उद्योग

जिले में पलायन को रोकने के लिए प्रशासन स्तर पर कोई ठोस प्लाङ्क्षनग नहीं है। वहीं, बड़े उद्योगों का भी टोटा है। काम के नाम पर दिहाड़ी मजदूरी ही है, लेकिन मजदूरी कम होने के कारण मजदूरों को काम रास नहीं आ रहे हैं। गांवों में महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए समूह बनाए गए हैं, लेकिन अधिकांश समूह निष्क्रिय हैं। चंद समूह ही काम कर रहे हैं।
पलायन कर रहे मजदूरों की जानकारी पंचायतों के जरिए एकत्र करने के निर्देश दिए हैं। वास्तविक डाटा मिलने के बाद समीक्षा की जाएगी और रोजगार दिलाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।
सुधीर कुमार कोचर, कलेक्टर दमोह

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