इसको लेकर पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने एक बयान दिया है। सुनील गावस्कर ने सोनी स्पोर्ट्स से बातचीत मेंकहा कि “कोई भी सुपरस्टार ब्रेक नहीं ले सकता, खिलाड़ी छुट्टियां मनाने नहीं आए हैं।” इस बयान को जसप्रीत बुमराह पर निशाने के तौर पर देखा जा रहा है।
बुमराह ने टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह इस सीरीज में केवल पहला, तीसरा और पांचवां टेस्ट खेलेंगे। ऐसे समय में जब टीम 2-1 से पिछड़ रही है, बुमराह की गैरमौजूदगी भारत पर भारी पड़ सकती है। जसप्रीत बुमराह ने अब तक इस सीरीज में तीन में से दो टेस्ट खेले हैं और उन दोनों की मैच में उन्होंने ‘फाइव विकेट हॉल’ लिया है। लेकिन इन दोनों मुकाबलों में भारत को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं एजबेस्टन टेस्ट, जिसमें बुमराह नहीं खेले, वहां भारत को जीत मिली थी।
दिलचस्प बात यह है कि भारत बुमराह की गैरहाज़िरी में ज़्यादा मैच जीतता है। आंकड़ों के मुताबिक जब बुमराह प्लेइंग-11 का हिस्सा नहीं होते, तब भारत लगभग 70% टेस्ट मैच जीतता है। इसके विपरीत, जब वह टीम में होते हैं, तो आधे से ज्यादा मुकाबलों में भारत को हार का सामना करना पड़ता है।
बुमराह ने 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में डेब्यू किया था। तब से अब तक उन्होंने 46 मैचों की 71 पारियों में 19.60 की बेहतरीन औसत से 210 विकेट चटकाए हैं। वह टेस्ट क्रिकेट में 200 से ज्यादा विकेट लेने वाले एकमात्र गेंदबाज हैं जिनका औसत 20 से कम है।
बुमराह के डेब्यू के बाद से भारत ने कुल 74 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से वह 47 में खेले और 27 मैचों में बाहर रहे हैं। यानी करीब 36 प्रतिशत मुकाबले वह नहीं खेल सके। भारत के लिए जो 47 मुक़ाबले बुमराह ने खेले हैं। उनमें से 20 मैच टीम को जीत मिली है, वहीं 23 मुकाबलों में भारत को हार का सामना करना पड़ा हौ। चार मैच ड्रॉ रहे हैं।
वहीं, जिन 27 टेस्ट मैचों में वह टीम का हिस्सा नहीं रहे, उनमें भारत ने 19 मैच जीते हैं और केवल 5 में उसे हार का सामना करना पड़ा है। वहीं 3 ड्रॉ रहे हैं। यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बुमराह की मौजूदगी में भारत को ज़्यादा हार का सामना करना पड़ा है, जबकि उनकी गैरमौजूदगी में जीत का अनुपात बेहतर रहा है।