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टीम इंडिया का वो खिलाड़ी, जिसने स्पिनर के तौर पर किया डेब्यू और पहले ही मैच में बल्ले से कर दिया कमाल

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजू कोचिंग और क्रिकेट प्रशासन के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। राजू 2007-2008 में साउथ जोन से भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति का हिस्सा थे। वह हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।

भारतJul 08, 2025 / 07:04 pm

Vivek Kumar Singh

Venketpathy raju and sachin tendulkar (Photo credit- Sachin tendulker X)

Venketpathy raju and sachin tendulkar (Photo credit- Sachin tendulker X)

भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेलने वाले हर क्रिकेटर का करियर लंबा नहीं हो पाता है। लेकिन, कुछ ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अपने छोटे करियर में ही बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया और उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। वेंकटपति राजू ऐसा ही एक नाम है। वेंकटपति राजू का जन्म 9 जुलाई 1969 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। इनका पूरा नाम सागी लक्ष्मी वेंकटपति राजू है। बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वाले राजू ने 1990 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे और टेस्ट में डेब्यू किया था। 1989-90 के घरेलू सत्र में प्रथम श्रेणी मैचों में 32 विकेट लेने की वजह से उन्हें राष्ट्रीय टीम में मौका दिया गया था।

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वेंकटपति राजू का करियर चोटों से प्रभावित होने की वजह से ज्यादा लंबा नहीं रहा। 1990 में डेब्यू करने वाले राजू ने अपना आखिरी वनडे 1996 में आखिरी वनडे और 2001 में आखिरी टेस्ट खेला था। बाएं हाथ के स्पिनर राजू ने अपने करियर में 28 टेस्ट मैचों में 93 और 53 वनडे मैचों में 63 विकेट लिए। राजू अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले ही मैच में उन्होंने कीवी गेंदबाजों को अपनी बल्लेबाजी से परेशान कर दिया था। दो घंटे से अधिक की बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 31 रन बनाए थे, जो इस फॉर्मेट का उनका सर्वाधिक स्कोर है।

2 वर्ल्डकप खेल चुके हैं राजू

1990-91 में एशिया कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे राजू 1992 और 1996 वनडे विश्व कप भी खेले थे। राष्ट्रीय टीम के लिए ज्यादा मौके न मिलने के बावजूद वह आंध्र प्रदेश की तरफ से घरेलू क्रिकेटर लगातार खेले। 177 प्रथम श्रेणी मैचों में 589 और 124 लिस्ट ए मैचों में 152 विकेट उनके नाम दर्ज है। 2004 में उन्होंने अपना आखिरी घरेलू मैच उत्तर प्रदेश के खिलाफ खेला था।
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजू कोचिंग और क्रिकेट प्रशासन के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। राजू 2007-2008 में साउथ जोन से भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति का हिस्सा थे। वह हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। राजू अक्सर राष्ट्रीय और घरेलू मैचों में कमेंट्री करते हुए भी नजर आते हैं। बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने कहा था कि वेंकटपति राजू ने उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित किया था।

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