दरअसल, ऋषभ पंत लॉर्ड्स टेस्ट मैच के पहले दिन विकेट-कीपिंग करते हुए बाएं हाथ की अंगुली चोटिल कर बैठे थे। ऐसे में उन्होंने इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान विकेट-कीपिंग से दूरी बनाए रखी। ऋषभ पंत की जगह पर भारतीय टीम की तरफ से ध्रुव जुरेल ने जिम्मेदारी निभाई। जब भारतीय टीम की बल्लेबाजी की बारी आई तो उन्होंने तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए चोट के बावजूद बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरे। इंग्लैंड की टीम भी इस बात को भलीभांति जानती थी, तभी तो उसने भारतीय उप-कप्तान को रोकने के लिए बाउंसर फेंका। ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड इस कोशिश में है कि उन्हें चोट फिर से लग जाए। हुआ भी ऐसा, जब वह 48 के स्कोर पर थे, तब उन्हें चोट भी लगी, जिसके लिए उन्हें फीजियो की सेवाएं लेनी पड़ी। हालांकि उन्होंने मजबूती दिखाई और छक्का लगाकर अपना अर्द्धशतक पूरा किया।
अंग्रेजों की रणनीति पर पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर भड़क उठे। उन्होंने तीसरे दिन कमेंट्री करते हुए कहा, आज जितनी भी गेंदें फेकी गई, उनमें 56 फीसदी शॉर्ट बॉल रही। उन्होंने बाउंड्री पर चार फील्डर लगा रखे हैं, जो बाउंसर के लिए तैयार हैं। मेरे हिसाब से ये क्रिकेट नहीं है। वेस्टइंडीज जब शॉर्ट बॉल करती थी तो ये लोग नियम लाए कि एक ओवर में 2 से ज्यादा बाउंसर नहीं फेकी जा सकेगी। इसका मकदस वेस्टइंडीज की ताकत को कम करना था।
हम देख रहे कि बाउंसर गेंद फेकी जा रही है। जो फील्ड लगाई गई है, उसे देखिए। ये क्रिकेट नहीं। लेग साइड में छह से ज्यादा फील्डर नहीं हो सकते। मेरी बात अगर सौरव गांगुली सुन रहे हैं, जो आईसीसी क्रिकेट कमेटी के चेयरमैन हैं, वह इस बात को सुनिश्चित करें कि लेग साइड में छह से अधिक खिलाड़ी नहीं हो। यहां यह बता दें कि ऋषभ पंत 112 गेंद में 8 चौके और 2 छक्के संग शानदार 74 रन बनाकर रन आउट हुए।