संगठन के अनुसार संस्कृत शिक्षा के विद्यालयों की उपेक्षा यहां तक है कि 1936 विद्यालयों की मरम्मत के लिए पूरे राजस्थान में बजट आवंटन हुआ। फिर भी इसमें संस्कृत विद्यालय शामिल नहीं है। सरदारशहर ब्लॉक में सरकार द्वारा विद्यालय भवनों के भौतिक निरीक्षण के लिए गठित टीम के पास संस्कृत विद्यालय भवन निरीक्षण के आदेश तक नहीं है।
बताया जाता है कि अधिकारी वर्ग राजकीय विद्यालय देखकर विद्यालय में प्रवेश तो कर जाते हैं लेकिन अपनी निरीक्षण सूची में विद्यालय का नाम नहीं देखकर वहां निकल जाते हैं। निरीक्षण दल यह कहकर रवाना हो जाता है कि उनका विद्यालय सूची में शामिल नहीं हैं। जहां सामान्य शिक्षा में पीईईओ स्तर के विद्यालयों को सीआरसी ग्रांट प्राप्त होता है वहीं संस्कृत विभाग के संकुल स्तर के विद्यालयों को इस तरह की कोई राशि प्राप्त नहीं होती है। जो संस्कृत शिक्षा के विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार है।
ब्लाक अध्यक्ष पारीक ने बताया की सरदारशहर ब्लॉक के चार विद्यालय जो वरिष्ठ उपाध्याय स्तर के हैं लेकिन एक भी विद्यालय में आईसीटी लैब या इंटरनेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। जहां एक तरफ शिक्षा विभाग शिक्षकों के विद्यालय में मोबाइल फोन के उपयोग को प्रतिबंधित करने के आदेश देता है वहीं संस्कृत शिक्षा विभाग के शिक्षकों को अपने स्वयं के मोबाइल फोन से मजबूरन ऑनलाइन सूचनाएं भेजनी पड़ती है।
संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष भजनलाल पारीक ने बताया कि सरदारशहर ब्लॉक में केवल 25 प्रतिशत पद ही भरे हैं शेष 75 प्रतिशत रिक्त चल रहे हैं। संगठन मंत्री कुशलाराम गोदारा ने बताया कि विद्यालय में भौतिक संसाधनों के लिए सामान्य शिक्षा विभाग अधिकारी वर्ग के पास जाना पड़ता है और जहां कोई सुनवाई नहीं होती है।