पहले ज्यादा अब कम बारिश ने बढ़ाई परेशानी
चित्तौड़गढ़ जिले में सर्वाधिक मक्का और सोयाबीन की पैदावार होती है। काश्तकारों ने इस बार मक्का की 152436 हेक्टेयर और सोयाबीन की 92880 हेक्टेयर से अधिक में बुवाई हुई है। बारिश का दौर जारी रहने के कारण पहले खेतों में पानी भरने के कारण कई स्थानों पर दुबारा बुवाई करनी पड़ी। इसके बाद अब बीज अंकुरित होकर फल में तब्दील होने लगे फसलों में रोगों का प्रकोप बढ़ गया। मक्का में फाल आर्मी वर्म और सोयाबीन में पीला मोजेक रोग का प्रकोप दिखाई देने लगा है। इससे चितिंत काश्तकार फसलों को रोगों से बचाव के लिए कीटनाशकों का छिडक़ाव करने में जुटे हैं। हालांकि इससे रोगों पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने की बात कही जा रही है।
बारिश का बेसब्री से इंतजार
फसलों की शुरुआत में लगातार बारिश का दौर जारी रहा। इसके बाद समय-समय पर बारिश होती रही। इससे फसलों की बढ़वार अच्छी होने लगी, लेकिन पिछले 15 दिनों से बारिश का दौर थम गया है। इस दौरान एक-दो बूंदाबांदी हुई थी, लेकिन अब फसलों को भी सिंचाई की आवश्यकता है।मक्का की फसल में फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप से मक्का की पत्तियों, तनों और भुट्टों को खाकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। पत्तियों पर छेद और सुरंगें, पत्तियों का पीला पडऩा और मुरझाना इसका मुय लक्षण है। इससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और भुट्टों को भी नुकसान पहुंचता है। इसका समय रहते उपचार संभव है।

यह है पीला मोजेक वायरस
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस रोग होने पर पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बनते हैं। इससे पत्तियां सिकुड जाती है। यह वायरस बेमीसिया टैबैकी नामक सफेद मक्खी से फैलता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए प्रारभिक अवस्था में सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए दवाईयों का छिडक़ाव करने से रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।दवा का करें छिड़काव
बारिश के बीच में लंबा गेप आने के कारण मक्का और सोयाबीन में रोग बढ़ा है। किसानों को 15-15 दिन में दवा का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए काश्तकारों को ट्रेनिंगों के माध्यम से भी जानकारी दी गई है। विभाग की टीम भी समय-समय पर इसकी जांच कर रही है। स्थिति में नियंत्रण में है। खराबा जैसी स्थिति नहीं है।दिनेश कुमार जागा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार चित्तौड़गढ़
















