यह योजना जिले में जल संकट से प्रभावित ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसके अंतर्गत प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर करीब 1 लाख 60 हजार रुपए की लागत से वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किया जाएगा। इन केंद्रों का चयन सावधानीपूर्वक किया गया है ताकि सबसे ज्यादा जरूरतमंद क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा सके।
वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम: जल संकट के स्थायी समाधान की ओर
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि यह परियोजना एक साल के भीतर पूर्ण कर ली जाएगी। यह पहल उन क्षेत्रों में विशेष रूप से कारगर होगी जहां साल के अधिकांश समय में जल स्रोत सूख जाते हैं और गर्मी के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कार्यप्रणाली को लेकर उन्होंने बताया कि छतरपुर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की छतों पर गिरने वाला वर्षा जल पाइपलाइन के माध्यम से फिल्टरिंग सिस्टम से गुजरते हुए टैंक या भूमिगत जलाशयों में संचित किया जाएगा। इस संचित जल को फिर पीने, खाना पकाने, हाथ धोने और पौधों की सिंचाई जैसे कार्यों में प्रयोग किया जा सकेगा।
पोषण वाटिकाएं भी होंगी सिंचित
जल संरक्षण के साथ-साथ पोषण सुरक्षा को भी इस योजना से जोड़ा गया है। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से प्राप्त पानी का उपयोग आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिकाओं की सिंचाई में किया जाएगा। इसके लिए 500 नई पोषण वाटिकाओं का निर्माण प्रस्तावित है। हालांकि पूर्व में 75 सामुदायिक पोषण वाटिकाएं बनाई गई थीं, लेकिन देखरेख के अभाव में वे उपेक्षित हो गईं। अब विभाग का दावा है कि नई वाटिकाओं के रखरखाव और प्रबंधन के लिए सतत निगरानी व्यवस्था की जाएगी। एक वाटिका पर एक लाख रुपए खर्च किया जाएगा और निर्माण कार्य ग्राम पंचायतों की निगरानी में होगा। इन वाटिकाओं में बच्चों के लिए हरी सब्जियां, औषधीय पौधे और स्थानीय जलवायु के अनुरूप पौधे लगाए जाएंगे, जो बच्चों को पोषण युक्त आहार प्रदान करने में मदद करेंगे।
स्थानीय सहभागिता और स्वावलंबन को मिलेगा बढ़ावा
यह पूरी परियोजना स्थानीय सहभागिता के सिद्धांत पर आधारित है। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और पोषण वाटिकाओं के निर्माण और संचालन में ग्राम पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। यह स्थानीय लोगों को जल और पोषण सुरक्षा के प्रति न केवल जागरूक करेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएगा। परियोजना से जुड़ी एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता न किया जाए और हर स्तर पर पारदर्शिता रखी जाए।
पत्रिका व्यू
छतरपुर जिले की यह योजना जल संकट, कुपोषण और पर्यावरण असंतुलन जैसी तीन बड़ी समस्याओं से एक साथ निपटने की दिशा में एक समग्र और व्यावहारिक कदम है। 500 आंगनबाड़ी केंद्रों पर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और पोषण वाटिकाओं का निर्माण केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है, जो स्थानीय जीवन में बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह पूरे प्रदेश और देश के लिए एक मॉडल परियोजना बन सकती है। यह वह समय है जब हमें जल को केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि भविष्य की पूंजी समझकर उसकी रक्षा करनी होगी।