scriptछतरपुर जिले में अतिवृष्टि और सूखा राहत में 42 लाख की गड़बड़ी, धोखाधड़ी पर एफआईआर नहीं, रिकवरी कर दबाया जा रहा मामला | In Chhatarpur district, there is a fraud of Rs 42 lakh in excessive rain and drought relief, no FIR on fraud, the matter is being suppressed by recovery | Patrika News
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छतरपुर जिले में अतिवृष्टि और सूखा राहत में 42 लाख की गड़बड़ी, धोखाधड़ी पर एफआईआर नहीं, रिकवरी कर दबाया जा रहा मामला

रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने 20 संदिग्ध खातों में राशि ट्रांसफर कर भुगतान किया और इस राशि का दुरुपयोग किया।

छतरपुरMay 17, 2025 / 10:36 am

Dharmendra Singh

collctorate

कलेक्ट्रेट छतरपुर

प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए भेजी गई अतिवृष्टि और सूखा राहत की राशि में 42 लाख रुपए की गड़बड़ी का खुलासा हाल ही में कैग की रिपोर्ट से हुआ है। गौरिहार तहसील में हुई इस धोखाधड़ी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां शासन की सहायता राशि को फर्जी खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने 20 संदिग्ध खातों में राशि ट्रांसफर कर भुगतान किया और इस राशि का दुरुपयोग किया।

कैंग की जांच में हुआ खुलासा


कैग द्वारा की गई जांच के दौरान यह पता चला कि वास्तविक किसानों को राहत देने के बजाय अधिकारियों ने अपात्रों के खाते में रकम ट्रांसफर कर दी। गौरिहार में राहत राशि के वितरण के दौरान 314 बार फर्जी खातों में राशि भेजी गई, जिसमें 42 लाख रुपए की गड़बड़ी की पुष्टि हुई। हैरानी की बात यह है कि इन संदिग्ध खातों में एक बार नहीं बल्कि बार-बार राशि ट्रांसफर की गई। उदाहरण के तौर पर एक खाते में 38 बार राशि भेजी गई, जबकि किसी भी खाते का वास्तविक किसान से कोई संबंध नहीं था।

इनके खाते में राशि डाली


जांच में सामने आया कि जिन अपात्र लोगों के खाते में राशि भेजी गई,उनमें वैभव खरे, बुंदेलखंड विकास निधि लिमिटेड, रोहित प्रभाकर, लैला अहिरवार, राजेन्द्र राजपूत, अजय कुमार नाहर, मनोज कुमार कुशवाह, बबीता अहिरवार, नत्थू अहिरवार, मीरा तिवारी, चंद्रप्रकाश तिवारी, मनोज कुमार कुशवाह, अभिलाषा कुशवाह, रविशंकर रावत, कौशलेन्द्र वर्मा, लीला अहिरवार, सचिन रावत, हिरदासा रावत, यश रावत और नरेंद्र कुमार जैसे अपात्र लोग शामिल हैं।

चहेतों को लाभ पहुंचाया


यह साफ़ तौर पर दर्शाता है कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने शासन द्वारा दी गई राशि का अनुचित तरीके से उपयोग किया और इसे अपने चहेतों तक पहुंचाया। इस धोखाधड़ी का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि घोटाले की जानकारी मिलने के बावजूद प्रशासन ने मामला दबाने का काम किया और दोषियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की एफआईआर दर्ज नहीं की गई। हालांकि, जब मामला सार्वजनिक हुआ, तब प्रशासन ने मामले की जांच करने की बात तो कही, लेकिन घोटाले में लिप्त अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
90 फीसदी राशि रिकवर भी कर ली


हालांकि, इस मामले में अब तक अपात्रों से 90 प्रतिशत राशि की रिकवरी की जा चुकी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि घोटाले में लिप्त दोषियों को किस प्रकार बचाया जा रहा है। इस मामले में तत्कालीन नाजिर शैलेन्द्र हिमांचल को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में रिकवरी की प्रक्रिया जारी है।

अन्य तहसीलों में भी गड़बड़ी की आशंका


इस घोटाले ने यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या सिर्फ गौरिहार में ही ऐसी गड़बडिय़ां हुई हैं या अन्य तहसीलों में भी इसी प्रकार के घोटाले हुए हैं जिन्हें दबा दिया गया है? जांच के दौरान यह संभावना भी जताई जा रही है कि अन्य तहसीलों में भी राहत राशि के वितरण में भारी गड़बड़ी हुई हो, लेकिन मामले को दबा दिया गया हो। इससे यह भी साफ होता है कि शासन के लिए वास्तविक किसानों की मदद की तुलना में अधिकारियों और अपात्रों के हित ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।

कार्रवाई न होने से नहीं लग पा रहा अंकुश


यह पूरी स्थिति शासन की नाकामी को उजागर करती है, जिसमें भ्रष्टाचार पर कड़ी नजर रखने के बजाय, सरकारी अधिकारी अपनी मनमानी करने में लगे हैं। इस तरह की गड़बड़ी और घोटाले न केवल शासन की नीतियों को कमजोर करते हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि कैसे योजनाओं का उद्देश्य बदलकर केवल धन की बंदरबांट में तब्दील हो जाता है। यदि इस मामले की गंभीरता से जांच नहीं की जाती और दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाती, तो आने वाले समय में अन्य सरकारी योजनाओं में भी इसी तरह की गड़बड़ी देखने को मिल सकती है।

पत्रिका व्यू


अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि में हुई 42 लाख की गड़बड़ी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय सिर्फ रिकवरी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह साफ़ है कि अगर इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका असर राज्य में सरकार की अन्य योजनाओं पर भी पड़ेगा। प्रशासन को इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गड़बडिय़ों को रोका जा सके और वास्तविक जरूरतमंदों को राहत मिल सके।

इनका कहना है


नाजिर को निलंबित कर विभागीय जांच की जा रही है। साथ ही राशि की रिकवरी की जा रही है। निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
विनोद श्रीवास्तव, जिला कोषालय अधिकारी

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