गिट्टी सीमेंट से भर रहे डामर सडक़ के गड्ढे
बीते दिनों हुई बरसात के बाद डामर की परत जगह-जगह से निकल गई, और डामरीकरण की गिट्टी सडक़ व किनारों पर बिखर गई। नतीजा यह हुआ कि दोपहिया वाहन फिसलकर गिरने लगे। अब पीडब्ल्यूडी डामर डालने की बजाय इन गड्ढों को सीमेंट-कंक्रीट (सीसी) से भर रहा है। आईसीआईसीआई बैंक, डीजे बंगला, भाजपा जिला कार्यालय, पठापुर तिराहा, फौलादी कलम मार्ग और बस स्टैंड से आकाशवाणी तिराहे तक कई स्थानों पर यह सीसी पैचवर्क किया गया है।
डामर साल भर भी नहीं टिका
यह समस्या नई नहीं है। वर्ष 2022 में भी 5 करोड़ की लागत से किए गए डामरीकरण का यही हाल हुआ था। जुलाई 2022 में जवाहर रोड पर हुआ डामरीकरण महज 5 दिन में उखड़ गया था। तब भी मामला सामने आने पर पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार से मरम्मत कराई थी, लेकिन यह भी ज्यादा समय तक नहीं चला। वर्ष 2023, 2024 में भी बारिश के बाद सडक़ का डामरीकरण कराना पड़ा।
शहर की कई सडक़ें बदहाल
जवाहर रोड के अलावा जेल रोड, पन्ना रोड, संकट मोचन मंदिर मार्ग, पुलिस लाइन रोड और छत्रसाल चौराहा से पुराना पन्ना नाका की ओर जाने वाले मार्ग पर भी यही स्थिति है। बिजली विभाग कार्यालय, यूनिवर्सिटी तिराहा और एक्सीलेंस स्कूल नंबर 1-2 के पास तो सडक़ की परत पूरी तरह से निकल चुकी है।
दुकानदारों और राहगीरों की मुश्किलें बढ़ीं
शहर की सडक़ों के किनारे 500 से ज्यादा छोटे दुकानदार, ठेले और गुमटियां लगाने वाले लोग बैठते हैं। गड्ढों और धूल से इनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है। भारी वाहनों से उठने वाली धूल, काला धुआं और प्रेशर हॉर्न के शोर से उनका दिन का अधिकांश समय प्रदूषण में बीतता है।
कम डामर की वजह से उखड़ी सडक़
पीडब्ल्यूडी के ईई आरएस शुक्ला के अनुसार, इस सडक़ पर 30 एमएम का डामरीकरण हुआ था, जो बारिश में आसानी से उखड़ जाता है। उनका कहना है कि बरसात के मौसम में डामरीकरण संभव नहीं, इसलिए फिलहाल सीसी से मरम्मत की जा रही है, और मौसम साफ होने के बाद दोबारा डामर बिछाया जाएगा।