ये है सीटों की स्थिति
इस वर्ष जिले में आरटीई के अंतर्गत 1387 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 1740 थी। यानी इस बार 353 सीटें कम कर दी गई हैं। यह गिरावट इसलिए भी चिंताजनक मानी जा रही है क्योंकि 100 से अधिक निजी स्कूलों की मान्यता इस वर्ष निरस्त कर दी गई है। नतीजतन, आरटीई प्रक्रिया में शामिल स्कूलों की संख्या 600 से घटकर 582 रह गई है। यह स्थिति योजना की पहुंच और उद्देश्य पर असर डाल सकती है।
23 मई तक होगा सत्यापन
प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। संकुल और बीआरसीसी स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन 23 मई तक किया जाएगा। अब तक 263 आवेदनों का सत्यापन हो चुका है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अधूरे या फर्जी दस्तावेज वाले आवेदनों को अमान्य कर दिया जाएगा। विभाग द्वारा मान्य दस्तावेजों की सूची भी जारी कर दी गई है, जिसमें निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, समग्र आईडी, मनरेगा जॉब कार्ड, पासपोर्ट, बिजली-पानी के बिल आदि शामिल हैं। संयुक्त परिवारों में मुखिया के नाम पर जारी दस्तावेज भी मान्य किए जाएंगे।
पहली बार आयु सीमा को लेकर निर्देश
इस वर्ष पहली बार आयु सीमा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। नर्सरी में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 3 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष 6 माह रखी गई है, वहीं पहली कक्षा के लिए 6 वर्ष से 7 वर्ष 6 माह की आयु सीमा तय की गई है। तय सीमा से बाहर का कोई भी बच्चा इस प्रक्रिया के लिए पात्र नहीं माना जाएगा। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क है और प्रत्येक आवेदक को 3 से 10 स्कूलों के विकल्प देने होंगे। आवेदन में स्कूलों की प्राथमिकता सही ढंग से अंकित करना जरूरी है। आवेदन के साथ सभी आवश्यक दस्तावेजों का स्कैन करके अपलोड करना अनिवार्य है।
पारदर्शिता पर फोकस
प्रशासन इस बार विशेष सतर्कता बरत रहा है। जिला समन्वयक एएस पाण्डेय ने कहा है कि प्रवेश प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरती जा रही है और किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, इस बार निजी स्कूलों की घटती संख्या और कम होती सीटों ने आरटीई नीति की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। योजना की व्यापकता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब निजी स्कूलों की मान्यता संबंधी प्रक्रिया पारदर्शी हो और निरस्तीकरण की स्थिति में वैकल्पिक स्कूलों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।
पत्रिका व्यू
देर से शुरू हुई आरटीई प्रवेश प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है, लेकिन स्कूलों की घटती संख्या और कम होती सीटों ने इस पर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है। शिक्षा विभाग को न सिर्फ प्रक्रिया को समय पर पूर्ण करना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई बच्चा केवल सुविधा की कमी के कारण शिक्षा से वंचित न रह जाए।