दरअसल, अधिवक्ता संघ शहडोल के पूर्व अध्यक्ष संदीप कुमार तिवारी ने 4 फरवरी को धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर आपत्ति जताते हुए सोहगपुर थाने में शिकायत की थी। जिस पर कार्रवाई नहीं हुई तो मामला एसपी तक पहुंच गया। इसके बाद 3 मार्च को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शहडोल के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 20 मई को सुबह 11 बजे उन्हें कोर्ट में पेश होने का आदेश दे दिया।
इस पर संदीप तिवारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर टिप्पणियों के लिए एफआईआर हो सकती है, तो सार्वजनिक मंच से भड़काऊ बयान देने पर कार्रवाई क्यों नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि क्या आयोजन में न पहुंचने वाला देशद्रोही है? सीमा पर तैनात सैनिक, अस्पतालों में सेवा दे रहे डॉक्टर, कानून व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मी, पत्रकार, न्यायपालिक के सदस्य या कोई दूसरा नागरिक जो अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है। वह किसी कारण से महाकुंभ में उपस्थित नहीं हो पाता, तो क्या उसे देशद्रोही कहा जा सकता है। धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर चुप्पी दोहरे मापदंड की तरफ इशारा करता है।