इस बिल में क्या होगा?
ग्राहम ने इंटव्यू में कहा, ‘अगर आप रूस से तेल खरीदते हैं और आप यूक्रेन की मदद नहीं करते हैं, तो अमेरिका में आने वाले आप के प्रोडक्ट्स पर 500 फीसदी टैरिफ लगेगा। भारत और चीन मिलकर रूस का 70 फीसदी तेल खरीदते हैं। वे पुतिन के युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं।’ हालांकि, ग्राहम ने कहा कि यह फैसला ट्रंप का ही होगा कि कांग्रेस द्वारा पास कर दिये जाने पर वे इस बिल पर साइन करते हैं या कुछ छूट देते हैं।
रूस से जमकर तेल खरीदता है भारत
जब फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब तक भारत के कच्चे तेल के आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम थी। अब यह हिस्सेदारी बढ़कर 40-44 फीसदी हो गई है। यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोप के देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये थे। इनमें व्यापार प्रतिबंध भी शामिल थे। रूस ने जब भारत को सस्ता तेल ऑफर किया, तो भारत ने सभी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदना शुरू कर दिया। कितना है भारत-रूस का व्यापार?
भारत ने मई महीने में रूस से 19.6 लाख बैरल तेल प्रतिदिन खरीदा था। जून में यह टार्गेट 22 लाख बैरल प्रतिदिन का था। कच्चे तेल की इस भारी खरीदारी से भारत और रूस के बीच व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और रूस का व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह कोविड से पहले 10 अरब डॉलर ही था। दोनों देशों ने साल 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर से ऊपर ले जाने का टार्गेट रखा है।