‘शोले’ मूवी का एक सीन जिसमें दिखाई दे रहे हैं ‘जय’ और ‘वीरू’
धर्मेंद्र या अमिताभ: सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ को आए 50 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी एक सवाल दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि इस फिल्म का असली लीड एक्टर कौन था? साल 1975 में रिलीज हुई इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया भादुरी और अमजद खान जैसे बड़े सितारे थे। फिल्म की कहानी और हर किरदार इतना दमदार था कि किसी एक को लीड कहना मुश्किल हो गया।
धर्मेंद्र ने वीरू का हंसी-मजाक से भरा किरदार निभाया, वहीं अमिताभ बच्चन का शांत और गंभीर जय दर्शकों के दिल में बस गया। गब्बर सिंह बने अमजद खान तो विलेन होते हुए भी फिल्म की जान बन गए। यही वजह है कि ‘शोले’ को मल्टी-स्टारर फिल्म का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है, जहां हर किरदार अपने आप में लीड जैसा लगा।
आज भी जब लोग ‘शोले’ देखते हैं, तो ये बहस शुरू हो जाती है कि फिल्म का असली हीरो कौन था? वीरू, जय या फिर गब्बर!
फिल्म का असली हीरो कौन?
‘शोले’ मूवी का एक सीन पत्रिका की खास सीरीज में आज बात कर रहे हैं, जय यानी अमिताभ बच्चन की। ‘बॉम्बे टू गोवा’ देखकर सलीम-जावेद ने अमिताभ बच्चन की काबिलियत पहचानी और उन्हें ‘जंजीर’ में रोल दिलाया। ‘जंजीर’ से ‘दीवार’ तक सलीम-जावेद का साथ रहा, जिसका असर ‘शोले’ के किरदार पर भी पड़ा।
जबकि मेकर्स की मानें तो फिल्म के मुख्य हीरो धर्मेंद्र थे, लेकिन सलीम-जावेद ने समय-समय पर ऐसे पंच दिए कि अमिताभ उनके समानांतर खड़े हो गए। फिर अंत में उनकी मौत ने पूरी सहानुभूति उनके साथ कर दी।
अमिताभ, यानी जयदेव, शांत स्वभाव के हैं। वे भावनात्मक हैं और वीरू को दोस्त के साथ-साथ बड़ा भाई मानते हैं। उसके लिए जान भी दे सकते हैं और अंत में दे भी दी। वीरू के विपरीत स्वभाव के बावजूद वे समय-समय पर मस्ती करते हैं। एक बार भैंस पर सवार होकर आते हैं, तो एक बार होली के गाने में डांस करते हैं, लेकिन दोनों बार राधा को देखते ही गंभीर हो जाते हैं।
मौका मिलने पर वे वीरू की हरकतों पर पंच भी मारते हैं। जैसे, “तुम्हारा नाम क्या है, बसंती?”, “पहली बार सुना है”, “लग गया निशाना”, “मुझे तो सभी पुलिस वालों की शक्ल एक सी लगती है”, “मैंने तो आंखें पहले ही बंद कर ली”, “जब नशा उतरेगा, तो अपने आप ही उतर जाएगा”, और “अब मुझे तेरे यहाँ आया की नौकरी मिलने वाली है और मौसी से रिश्ता मांगने वाला सीन”। इन सभी दृश्यों में अमिताभ पूरी तरह से छा गए।
अमिताभ के बिना अधूरी लगती फिल्म
अगर धर्मेंद्र की जगह कोई दूसरा एक्टर होता, तो भी यह संभव नहीं होता, क्योंकि फिल्म निर्माण के समय बड़े स्टार होते हुए भी धर्मेंद्र ने अमिताभ के रोल या पंच पर कभी हस्तक्षेप नहीं किया। ‘शोले’ फिल्म ऐसी है जो अमिताभ के बिना अधूरी लगती है।