बैंक के चेयरपर्सन एस.पी. सिंह के मुताबिक इन सभी को 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, अन्यथा सेवा से टर्मिनेट किया जाएगा। इस घोटाले की जड़ें पिछले बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से जुड़ी हैं, जिन्होंने कोर्ट आदेशों को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने परिचितों, रिश्तेदारों और घरेलू सहायकों को बैंक में नियुक्त कर दिया।
ये नियुक्तियां न केवल नियमों के खिलाफ थीं, बल्कि उच्च न्यायालय कोलकाता और नागपुर के आदेशों की भी अवहेलना की गई। इतना ही नहीं, सेंट्रल रजिस्ट्रार फ़ॉर को-ऑपरेटिव सोसायटी, नई दिल्ली ने भी पूर्व बोर्ड को पत्र भेजकर इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई थी।
फर्जी नियुक्ति में अलग-अलग मंडलों के 17 लोग शामिल
अर्बन बैंक के डेलीगेट गोपी राव ने बताया कि फर्जी नियुक्तियों में देश के अलग-अलग मंडलों के 17 कर्मचारी शामिल हैं।
बिलासपुर मंडल से शेख नासिर, सुमित ललपुरे, जी. नरेश और प्रशांत कुमार यादव, नागपुर से हंस कुमार, संतोष मेश्राम और सुशील ओमप्रकाश, रायपुर से जय कुमार डोंगरे, अंध्रा से किसन कुमार सहिस और निखिल बाउरी, भुवनेश्वर से गुड़ला वामसी कुमार, खड़गपुर से अर्णब गुप्ता और सौबीक घोष, खुर्दा रोड से अभिषेक मांगराज व ऋषिवा पटसाहानी, रांची से स्वरूप कुमार मंडल और शैलेन्द्र कुमार सिंह, जबकि संबलपुर मंडल से मदन मोहन दुर्गा की नियुक्तियां अवैध तरीके से की गई।