Shubhanshu Shukla के मिशन से पहले जानें कैसा था भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का सफर
भारतीय वायुसेना को दो परीक्षण पायलट चुनने का जिम्मा मिला, जिनमें राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा चुने गए। इनमें से शर्मा को मिशन के लिए चुना गया, जबकि मल्होत्रा बैकअप दल में रहे।
अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय हैं शुभांशु शुक्ला। (AIR News)
Rakesh Sharma– 3 अप्रैल 1984 का दिन। शाम के ठीक 6 बजकर 38 मिनट। कजाखस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से सोयूज टी-11 नामक एक अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी और भारत के लिए नया इतिहास कायम हो गया। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन राकेश शर्मा इस उड़ान में सवार थे और अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने। 38 साल बाद Indian Airforce के एक और अधिकारी शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla Space expedition) स्पेस की यात्रा पर निकलने वाले हैं। शुभांशु शुक्ला ISS में 14 दिन रहेंगे। इस दौरान वह विभिन्न तरह के एक्सपेरिमेंट करेंगे। इससे भारत को अंतरिक्ष में नए मिशन शुरू करने में आसानी होगी। इनमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान मिशन शामिल है।
1984 में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा केवल एक अंतरिक्ष मिशन नहीं थी, बल्कि भारत-सोवियत संघ की दोस्ती का प्रतीक थी। शर्मा का अंतरिक्ष यात्रा पर जाना Soviet Interkosmos programme का हिस्सा था, जिसमें 1978 से 1991 के बीच 17 विदेशी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा गया था। इस कार्यक्रम के पीछे उद्देश्य था कि तकनीकी सहयोग के जरिए सामरिक और वैज्ञानिक रिश्तों को मजबूत करना। वहीं शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय होंगे। नासा के Axiom 4 मिशन में किसी भारतीय का जाना ISRO के Space Exploration में बढ़ती विशेषज्ञता की बदौलत है।
इंदिरा गांधी को सोवियत संघ ने दिया था प्रस्ताव
भारत 1960 के दशक से सोवियत संघ के करीब आता गया। इस दोस्ती के कारण सोवियत यूनियन ने भारत के शुरुआती सैटेलाइट्स Aryabhatta (1975), Bhaskara I (1979) और Bhaskara II (1981) के प्रक्षेपण में मदद की। 1980 में सोवियत नेता लियोनिद ब्रेझनेव ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत-सोवियत संयुक्त मानव अंतरिक्ष मिशन का प्रस्ताव दिया, जिसे अगले साल आधिकारिक तौर पर मंजूरी मिल गई। भारतीय वायुसेना को दो परीक्षण पायलट चुनने का जिम्मा मिला, जिनमें राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा चुने गए। इनमें से शर्मा को मिशन के लिए चुना गया, जबकि मल्होत्रा बैकअप दल में रहे।
भारत कैसे बना Axiom 4 मिशन का हिस्सा
ISRO और NASA लंबे समय से विभिन्न अंतरिक्ष मिशन पर साथ काम कर रहे हैं। दोनों ने NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) पर साथ काम किया है। इस साझेदारी से दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच गठजोड़ मजबूत हुआ है। फिर तय हुआ अंतरिक्ष में Human Spaceflight Program चलाया जाए। इस बीच ISRO के मंगलयान और चंद्रयान मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने से उसकी बढ़ती विशेषज्ञता पूरी दुनिया को पता चली। जून 2023 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तब Axiom 4 मिशन की नींव पड़ी थी। इसके बाद NASA ने भारत को इस मिशन में साथ आने का न्योता दिया।
डेढ़ साल प्रैक्टिस की
सितंबर 1982 से दोनों पायलटों ने रूस के यूरी गगारिन अंतरिक्ष प्रशिक्षण केंद्र में लगभग डेढ़ साल का प्रशिक्षण लिया। उन्हें न केवल अंतरिक्ष यान ऑपरेशन, कम ग्रैविटी में काम करने का प्रशिक्षण मिला। साथ ही रूसी भाषा भी सीखनी पड़ी। उनके ट्रेनर बोरिस वोलिनोव ने कहा था कि वे इतने फोकस्ड थे कि कुछ ही महीनों में रूसी में लेक्चर नोट्स बनाना, परीक्षा देना और तकनीकी दस्तावेज पढ़ना सीख गए।
14 मंजिला रॉकेट की सवारी
3 अप्रैल 1984 को, शर्मा ने सोयूज टी-11 से उड़ान भरी। यह 14 मंजिला रॉकेट था, जो मिनटों में अंतरिक्ष चला गया। लॉन्च के 9 मिनट बाद ही अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया और राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बन गए और दुनिया के 138वें इंसान। भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला 14वां देश बना। अगले दिन 4 अप्रैल को उनका यान Salyut-7 अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया। वहां शर्मा और उनके दो सोवियत साथी यूरी मालिशेव और गेनाडी स्ट्रेकालोव लगभग एक हफ्ते तक रहे।
अंतरिक्ष में भारत की खोज
मिशन का मुख्य वैज्ञानिक उद्देश्य था Terra experiment, जिसमें शर्मा ने भारत और आसपास के इलाकों की सैटेलाइट इमेजिंग की। उन्होंने निकोबार और अंडमान द्वीप समूह, गंगा घाटी, हिमालय के ग्लेशियर और हिंद महासागर के जैविक उत्पादकता वाले क्षेत्रों की तस्वीरें लीं। इनसे तेल-गैस की संभावनाएं, वनों का अध्ययन और जलवायु निगरानी जैसे महत्वपूर्ण डेटा मिले।
क्या था मिशन
साथ ही, मिशन में मेडिकल रिसर्च भी शामिल था। खासतौर से यह Zero Gravity का इंसानी शरीर पर क्या असर होता है। इसके लिए शर्मा ने अंतरिक्ष में योग किया, 5 पूर्वनिर्धारित आसनों का एक सेट, जो विशेष उपकरणों से बंधकर किया जाता था। सोवियत डॉक्टर यह जानना चाहते थे कि क्या भारतीय योग प्रणाली अंतरिक्ष यात्रियों की कार्यक्षमता बेहतर कर सकती है।
इंदिरा गांधी ने पूछा- भारत कैसा दिखता है
इस मिशन का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को सीमित तकनीकी लाभ मिला, क्योंकि उस समय ISRO खुद मानव मिशन नहीं कर रहा था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे हमारे दोनों राष्ट्रों की रचनात्मक साझेदारी का प्रतीक बताया था। भारतीयों के लिए यह मिशन तब और यादगार हो गया जब शर्मा ने अंतरिक्ष से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से टीवी संवाद किया था, जिसका बाद में टीवी प्रसारण भी हुआ। गांधी ने जब पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है? तो शर्मा ने तुरंत जवाब दिया-‘सारे जहां से अच्छा।’ 11 अप्रैल, 1984 को क्रू धरती पर लौट आया।
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