scriptCG High Court: कोर्ट में पेंडेंसी 5 लाख से ज्यादा मामले, जजों की कमी समेत कई वजह आए सामने | Pendency in the court is more than 5 lakh cases, many reasons including shortage of judges | Patrika News
बिलासपुर

CG High Court: कोर्ट में पेंडेंसी 5 लाख से ज्यादा मामले, जजों की कमी समेत कई वजह आए सामने

CG High Court: हाईकोर्ट ने पिछले साल की तुलना में अधिक मामले निपटाए, जबकि जिला न्यायालयों का ग्राफ कुछ नीचे गिरा है। हाईकोर्ट ने जनवरी माह में साल 2024 की केस क्लीयरेंस रिपोर्ट जारी की थी।

बिलासपुरJul 20, 2025 / 07:49 am

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CG High Court: कोर्ट में पेंडेंसी 5 लाख से ज्यादा मामले, जजों की कमी समेत कई वजह आए सामने

बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Photo Patrika)

CG High Court: हाईकोर्ट और प्रदेश के जिला न्यायालयों में पेंडेंसी का आंकड़ा 5 लाख से अधिक हो चुका है। इसके प्रमुख कारणों में गवाहों का उपस्थित नहीं होना, स्थगन, आरोपियों का फरार होना, वकीलों की अनुपस्थिति, दस्तावेज नहीं होने और पक्षकारों का केस में रुचि नहीं होना शामिल है।
आंकड़ों के अनुसार हाईकोर्ट में जून की स्थिति में 81 हजार 935 प्रकरण लंबित हैं। इनमें सिविल मामले 55 हजार 24 और सिविल प्रकरण 26 हजार 911 हैं। वहीं नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में 4 लाख 25 हजार 464 केस लंबित हैं। इनमें 3 लाख,44 हजार 887 आपराधिक मामले और 80 हजार 677 सिविल प्रकरण हैं। बिलासपुर जिले की अदालतों में 55 हजार 427 और रायपुर जिले में 93 हजार 952 प्रकरण हैं। अन्य जिलों में भी 15 से 20 हजार प्रकरण सुनवाई और निपटारे की प्रतीक्षा में हैं। शेष ञ्चपेज १०
प्रकरण निराकृत करने की दिशा में लगातार प्रयास

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के मार्गदर्शन में वर्ष 2024 में हाईकोर्ट में 112.85 फीसदी की दर से मामलों का निपटारा किया। जबकि प्रदेश की जिला अदालतों में निपटारे की दर 99.35 फीसदी रही। वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने 102.85 फीसदी और जिला न्यायालयों ने 110.11 फीसदी की दर से मामले निपटाए थे। यानी हाईकोर्ट ने पिछले साल की तुलना में अधिक मामले निपटाए, जबकि जिला न्यायालयों का ग्राफ कुछ नीचे गिरा है। हाईकोर्ट ने जनवरी माह में साल 2024 की केस क्लीयरेंस रिपोर्ट जारी की थी। वर्ष 2024 में हाईकोर्ट में 46192 केस दाखिल किए गए, जबकि 52127 केस का निपटारा किया गया। इसी तरह प्रदेश के जिला न्यायालयों में पिछले साल 438604 केस दाखिल हुए, वहीं 435742 मामले निपटे।
जिला न्यायालयों के लिए दिशा-निर्देश

प्रदेश के जिला-सत्र और मजिस्ट्रेट न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की शीघ्र सुनवाई और निराकरण के लिए भी प्रयास जारी हैं। इस साल जनवरी में चीफ जस्टिस के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशियल ने गाइड लाइन जारी की। इसमें राज्य के जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में पुराने लंबित, विचाराधीन, जमानत, अंतरिम आदेश वाले और विशेष श्रेणी के मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए जमानत आवेदनों पर संबंधित न्यायालयों को एक सप्ताह के भीतर फैसला सुनाने के निर्देश दिए गए । सत्र न्यायालय में विचाराधीन और मजिस्ट्रेट के समक्ष विचाराधीन मामलों को क्रमश: दो साल और छह महीने के भीतर निपटाने और पुराने मामले निराकृत करने के लिए कार्य योजना बनाने कहा गया।
जजों की कमी भी वजह

केस लगाने के बाद पक्षकारों द्वारा रुचि नहीं लेने, शासन या पुलिस का लचर रवैया, देर से चालान, दस्तावेज उपलब्ध न हो पाने जैसे कारण प्रमुख हैं। लेकिन जजों की कमी भी एक कारण है। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस समेत जजों के 22 पदों की स्वीकृति है, जबकि 16 जज ही कार्यरत हैं। जिला न्यायालयों में भी कमी बनी हुई है।
पुराने और औचित्यहीन मामले भी चिन्हित

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की यहां ज्वाइनिंग के बाद से हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों में पेंडेंसी कम करने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। पिछले साल ग्रीष्म अवकाश में हाईकोर्ट में लंबे समय से औचित्यहीन प्रकरणों की सूची बनाकर इन्हें निराकृत करने की दिशा में कार्य शुरू किया गया था। रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और पंजीकृत अधिवक्ताओं को पत्र लिखकर ऐसी याचिकाओं की सूची मांगी थी, जिनका वर्तमान में अब औचित्य नहीं रह गया है। पुराने मामलों को प्राथमिकता से निराकृत करने की दिशा में काम शुरू किया गया।

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