राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ)की ओर से पहले राज्यों को किट की नियमित आपूर्ति होती थी, लेकिन इस वर्ष से यह जिमेदारी राज्य सरकार को सौंप दी गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने इस जिमेदारी के तहत छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) को किट खरीदी के लिए प्रस्ताव भेजा है, लेकिन दो महीने बीत जाने के बावजूद अब तक किट की आपूर्ति नहीं हो सकी है। नतीजतन, प्रदेश के सभी आईसीटीसी केंद्रों पर एचआईवी जांच ठप है।
डॉक्टरों द्वारा मरीजों को जांच के लिए भेजा जा रहा है, लेकिन किट के अभाव में जांच नहीं हो पा रही। विभागीय सूत्रों के अनुसार हर माह राज्य में करीब 1 लाख एचआईवी किट की खपत होती है। शासकीय अस्पतालों में इसकी जांच न हो पाने से डॉक्टरों के लिखने के बाद भी सह जांच नहीं हो पा रही है।
केंद्र से पिछले साल मिले थे 9 लाख किट पिछले वर्ष नॉको द्वारा छत्तीसगढ़ को करीब 90 लाख अलग-अलग प्रकार की एचआईवी जांच किट उपलब्ध कराई गई थीं। लेकिन इस वर्ष केंद्रीय सप्लाई बंद कर दी गई और राज्य को खुद व्यवस्था बनाने कहा गया। दुर्भाग्यवश राज्य स्तर पर समय रहते वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी।
बिलासपुर में लगभग 5 हजार संक्रमित छत्तीसगढ़ में लगभग 45 हजार एचआईवी एड्स के मरीजों का इलाज चल रहा है। बिलासपुर जिले में वर्तमान में 5 हजार से ज्यादा एचआईवी संक्रमित मरीज पंजीबद्ध हैं, जो नियमित इलाज और फॉलोअप जांच पर निर्भर हैं। किट की अनुपलब्धता के कारण इनकी समय-समय पर की जाने वाली जांच रुकी हुई है। दूसरी ओर, नए संदिग्ध मरीजों की भी जांच नहीं हो पा रही, जिससे संक्रमण के फैलाव का खतरा बढ़ गया है।
जरूरी जांच भी प्रभावित ऐसे कई ऑपरेशन हैं जिन्हें करने से पहले अनिवार्य रूप से एचआईवी जांच की जाती है। लेकिन वर्तमान हालात में जांच संभव न होने से अस्पतालों में सर्जरी जैसे अहम उपचार भी प्रभावित हो रहे हैं। कई मरीजों को बिना जांच के लौटाया जा रहा है।
ऑपरेशन से पहले जरूरी जांच भी प्रभावित ऐसे कई ऑपरेशन हैं जिन्हें करने से पहले अनिवार्य रूप से एचआईवी जांच की जाती है। लेकिन वर्तमान हालात में जांच संभव न होने से अस्पतालों में सर्जरी जैसे अहम उपचार भी प्रभावित हो रहे हैं। कई मरीजों को बिना जांच के लौटाया जा रहा है।
शासन की लापरवाही, मरीजों की जान पर बन आई यह स्थिति राज्य शासन और संबंधित विभागों की लापरवाही को दर्शाती है। दो महीने बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नतीजा यह कि एचआईवी जैसे संवेदनशील मामले में समय पर जांच हो पा रही है। न ही इलाज की निरंतरता बनी रह पा रही है।
सीजीएमएससीएल को किट की खरीदी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ अस्पतालों को लोकल लेवल पर किट खरीदने की अनुमति दी गई है। इसके लिए अलग से फंड की प्रक्त्रिस्या चल रही है।
खेमराज सोनवानी, अतिरिक्त परियोजना संचालक, छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति