पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी बहनें कुछ माह पहले अंडमान-निकोबार से लौटी हैं। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वहाँ से उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण या नकल माफिया से कोई संपर्क मिला था। क्या वहाँ किसी गिरोह ने उन्हें तैयार किया? या यह केवल उनके दिमाग की उपज है? पुलिस ने युवतियों पर संगठित अपराध से संबंधित धाराएँ भी जोड़ी हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पुलिस इस मामले को महज व्यक्तिगत चीटिंग के तौर पर नहीं देख रही। जांच अब उस दिशा में जा रही है जहाँ अंतरराज्यीय नकल रैकेट की मौजूदगी का संदेह हो।
प्रशिक्षित नकल माफिया नेटवर्क का हिस्सा?
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, बहनों ने जो तरीका अपनाया वह इतना परिष्कृत है कि शक होता है कि यह केवल इनका खुद का दिमाग नहीं हो सकता। एक बहन अंदर से प्रश्नपत्र भेज रही थी, दूसरी बाहर वॉकी-टॉकी से उत्तर बता रही थी। ऐसे में सवाल उठता है- क्या ये कोई प्रशिक्षित नेटवर्क का हिस्सा हैं? कुछ तकनीकी उपकरण, जैसे स्पाई कैमरा और ईयरपीस, सामान्यत: बाजार में आसानी से नहीं मिलते। ऐसे में सप्लायर तक पहुंचना भी पुलिस की प्राथमिकता में है। परीक्षा केंद्र के स्टाफ से भी हुई पूछताछ
सरकंडा थाना प्रभारी निलेश पांडे ने बताया कि पूछताछ में युवतियों ने बताया कि वे मूलत: जशपुर की ही निवासी हैं। अंडमान वे पढ़ाई करने गई थीं। युवतियों के साथ ही परीक्षा केंद्र स्टाफ, पर्यवेक्षक और अन्य
कर्मचारियों से भी बारीकी से पूछताछ की गई है। परीक्षा केंद्र के स्टाफ का बयान है कि वे पहले जांच में कैमरा नहीं देख पाए थे। बाहर युवती के पकड़े जाने के बाद बारीकी से जांच पर मामले का खुलासा हुआ।