सरायपाली ओपन कास्ट परियोजना के लिए एसईसीएल द्वारा ग्राम बुदबुद की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 2007 में एसईसीएल ने रोजगार एवं नौकरी प्रदान करने का वादा भी किया गया था। इसके लिए छोटी-बड़ी सभी तरह की अधिग्रहित जमीन के मालिकों की लिस्ट तैयार कर ली गई।
लेकिन नौकरी देने के बजाय एसईसीएल प्रबंधन टालमटोल करते रहा। 2012 में एसईसीएल ने सभी को इस आधार पर नौकरी देने से मना कर दिया कि जमीन अधिग्रहण के संबन्ध में कोल इंडिया की नई पॉलिसी लागू हो चुकी है। इसके अनुसार जिनकी 2 एकड़ या इससे ज्यादा जमीन ली गई है, उनको ही सर्विस में लिया जाएगा।
जमीन लेने के दौरान लागू पॉलिसी अनुसार रोजगार देने के निर्देश
एसईसीएल की इस पॉलिसी से लगभग 300 भू विस्थापित रोजगार से वंचित हो गए। इनमें से कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नौकरी की मांग की। कोर्ट ने एसईसीएल को आदेश दिया कि प्रभावितों के आवेदन पर विचार करें। एसईसीएल ने आवेदन निरस्त कर दिए। इस पर हाईकोर्ट में जनवरी 2025 में दोबारा याचिका दायर की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि जब जमीन ली गई तब कोल इंडिया की नई नीति लागू नहीं हुई थी। इसलिए पूर्व नीति अनुसार ही रोजगार और मुआवजा दिया जाना चाहिए।
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं
15 जनवरी 2025 को
हाईकोर्ट ने 45 दिवस के भीतर कार्रवाई करने का आदेश दिया। परंतु एसईसीएल ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट के आदेश की लगातार अवहेलना के कारण गांव वालों ने अधिवक्ता शिशिर दीक्षित के माध्यम से अवमानना याचिका प्रस्तुत की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसईसीएल के सीएमडी हरीश दुहान एवं अन्य अधिकारियों को अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी किया।