Dr. Neeraj Shinde Passed Away: डॉ. नीरज शिंदे का नेपाल में निधन
बिलासपुर सिम्स मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. नीरज शिंदे का नेपाल में निधन हो गया। वे कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा पर थे, जहां नेपाल के रास्ते से लौटते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली। उनका इस तरह असमय चला जाना चिकित्सा जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
जब तक सांस है, सेवा करता रहूंगा
डॉ. शिंदे पैरालिसीस से जूझ रहे थे। इलाज भी खुद कर रहे थे, लेकिन सेवा का जज्बा ऐसा था कि लड़खड़ाते कदमों के बावजूद रोज अस्पताल मरीजों के इलाज को पहुँचते। ऑपरेशन थियेटर में मौजूद रहते, एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाते और मरीजों का इलाज करते। उनका कहना था ऽजब तक साँस है, सेवा करता रहूँगा।ऽ अपने छात्रों को भी वो पूरी निष्ठा और लगन से मानव सेवा की सीख देते।प्रतिदिन 250 की ओपीडी, एमएस का भी संभाला जिम्मा
डॉ. नीरज शिंदे सिम्स की स्थापना के साथ ही यहाँ पदस्थ रहे। सिस के एकमात्र डॉक्टर जो न्यूरो से संबंधित बीमारियों का इलाज कराते थे। उनके ओपीडी में प्रतिदिन 250 से अधिक मरीज उपचार कराने के लिए पहुँचते थे। इसके अलावा प्रशासन ने इन्हें सिस अस्पताल का अधीक्षक भी बनाया था। मरीजों के उपचार के साथ प्रशासनिक ज़िमेदारी भी सँभाली। इन्होंने अपने कार्यकाल में सिस की बदहाल व्यवस्था को सुधारने के लिए भी कई कार्य किए।वे एक डॉक्टर ही नहीं, सरलता और स्नेह की प्रतिमूर्ति थे
सिम्स मेडिकल कॉलेज के डॉ. प्रशांत निगम बताते हैं कि डॉ. नीरज शिंदे जब भी कॉलेज भवन में मिलते थे, हमेशा मुस्कुराते हुए ही संवाद करते थे। उनका असमय जाना सभी के लिए गहरा आघात है। वे न केवल एक कुशल सर्जन थे, बल्कि सरलता, सहजता और स्नेह की प्रतिमूर्ति भी थे। पैरालिसिस से जूझते हुए भी हर दिन मरीजों की सेवा करते रहे। उनके छात्र, सहकर्मी और मरीज आज सिर्फ उन्हें याद नहीं कर रहे, बल्कि उनकी कमी महसूस कर रहे हैं। अब शायद वो आवाज़ दोबारा न सुनाई दे – क्या पार्टनर? कैसा है?उनसे जुड़ी कुछ जानकारियां
चिकित्सा व प्रशासनिक करियर 2004 में सिम्स में सेवा शुरू की, और वर्षों में सर्जरी विभाग में पदोन्नति पाई।404 सिम्स के अधीक्षक (एमएस) भी रहे, एमबीबीएस छात्रों का मार्गदर्शन व अस्पताल प्रशासन संभाला।