प्रदेश के शासकीय आईटीआई संस्थानों में कार्यरत 507 प्रशिक्षण अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किया गया था। इसके अनुसार इन प्रशिक्षण अधिकारियों की भर्ती के समय वर्ष 2013 में लागू आरक्षण नियम का पालन नहीं किया गया था। इन प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति वर्ष 2013 में हुई थी। इनकी विभागीय भर्ती नियम 2014 संशोधन 2019 के अनुसार इनकी पदोन्नति वर्ष 2019 में होनी थी। इस वजह से 50 प्रशिक्षण अधिकारी पदोन्नति की मांग को लेकर हाईकोर्ट चले गए।
कारण बताओ नोटिस जारी
उच्च न्यायालय ने भी नियमानुसार पदोन्नति हेतु डीपीसी करने के निर्देश दे दिए। निर्धारित अवधि में डीपीसी नहीं करने पर कंटेंप्ट याचिका दायर होने पर विभाग ने इन 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को भर्ती के समय आरक्षण नियम का पालन नहीं किया गया बता कर सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इस पर पुन: उच्च न्यायालय में उक्त कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी।
सिंगल बेंच, डिविजन बेंच एवं उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए उक्त कारण बताओ नोटिस को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शासकीय अधिवक्ता यह साबित करने में असफल रहे कि यदि भर्ती तत्कालीन लागू आरक्षण नियमानुसार नहीं भी की गई थी।