Ajab Gajab: 65 साल की महिला के पेट में छिपा था मौत का ट्यूमर, डॉक्टर बने फरिश्ते, आप नहीं करें ये गलती
Ajab Gajab: एक बार फिर यह साबित हो गया कि डॉक्टर सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि असली भगवान होते हैं जो जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर इंसानों को नया जीवन देते हैं।
महिला के पेट से निकाला 10 किलो का ट्यूमर (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Ajab Gajab: एक बार फिर यह साबित हो गया कि डॉक्टर सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि असली भगवान होते हैं जो जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर इंसानों को नया जीवन देते हैं। हाल ही में डॉक्टरों ने जीवन रक्षक बनते हुए एक महिला के पेट से करीब 10 किलो वजनी ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकालकर नया जीवन दिया।
बिलासपुर स्थित सिम्स अस्पताल में हुई इस जटिल सर्जरी ने न केवल चिकित्सकीय क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि समर्पित डॉक्टर किसी मसीहा से कम नहीं होते। मरीज वर्षों से गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रही थी, लेकिन अब वह स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ रही है।
लगातार बढ़ गई थी उल्टियों की समस्या
लक्ष्मी पिछले दो साल से पेट में असामान्य सूजन, लगातार थकावट, उल्टियां व शौच क्रियाओं में कठिनाई जैसी समस्याओं से पीड़ित थीं। हाल के दिनों में जब उल्टियों की समस्या लगातार बढ़ गई, तब परिजन उन्हें लेकर सिम्स अस्पताल पहुंचे। यहां सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. नेहा सिंह ने प्रारंभिक जांच की और लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए तत्काल भर्ती करने का निर्णय लिया।
सोनोग्राफी से हुई ट्यूमर की पुष्टि
रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण और सोनोग्राफी से यह पुष्टि हुई कि महिला के पेट में एक अत्यंत बड़ा ट्यूमर मौजूद है। इसकी जानकारी डॉ. नेहा ने गाइनेकोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता जोगी को दी। डॉ. संगीता ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. लखन सिंह और सिम्स के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति से चर्चा कर ऑपरेशन की अनुमति प्राप्त की।
टीम में ये थे शामिल
सिम्स डीन डॉ. रमणेश मूर्ति के निर्देश पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक संयुक्त टीम बनाई गई, जिसमें डॉ. संगीता जोगी, डॉ. दीपिका सिंह, डॉ. रचना जैन, डॉ. अंजू गढ़वाल और एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. श्वेता, डॉ. प्राची व डॉ. आकांक्षा शामिल थे।
ऑपरेशन के दौरान नर्सिंग स्टाफ से अश्विनी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टरों की इस टीम ने करीब ढाई घंटे तक चले बेहद जटिल ऑपरेशन में महिला के पेट से 10 किलो 660 ग्राम वजनी ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल लिया। सर्जरी के बाद मरीज को ऑब्जर्वेशन में रखा गया। अब उनकी स्थिति पहले से बेहतर बताई जा रही है।
ट्यूमर का आकार और वजन दुर्लभ
सिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह के अनुसार इतना बड़ा ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ है। इसका सुरक्षित तरीके से निकाला जाना अस्पताल की चिकित्सकीय क्षमता और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण है। डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने इस सफलता के लिए पूरी टीम को बधाई दी और उनके समर्पण व तत्परता की सराहना की।
इस जटिल सर्जरी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिम्स अस्पताल जैसे सरकारी संस्थान में भी विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं। मरीज की जान बचाने में डॉक्टरों की सक्रियता, तकनीकी दक्षता और टीम भावना ने अहम भूमिका निभाई है। सिम्स की यह उपलब्धि आने वाले मरीजों को नई उम्मीद दे रही है।
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