राइडर्स ने कलेक्टर के समक्ष अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बीजापुर की प्राकृतिक संपदा अद्भुत है, लेकिन इसका उचित प्रचार-प्रसार और पर्यटकों के लिए संकेतक सुविधाओं का अभाव इसकी पहचान में बाधा बन रहा है। ग्रुप सदस्य अमित बाघ ने कहा कि नबी वॉटरफॉल की यात्रा रोमांचकारी रही, परंतु स्पष्ट दिशा-निर्देश बोर्डों की कमी से बाहरी पर्यटकों को परेशानी होती है।
उन्होंने सुझाव दिया कि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पर्यटन सूचना बोर्ड और साइन एज की स्थापना होनी चाहिए, ताकि पर्यटकों को मार्गदर्शन मिल सके। साथ ही मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता जैसे मुद्दों को भी उन्होंने प्रमुखता से उठाया।
पर्यटन विकास को लेकर सकारात्मक पहल
इस अवसर पर कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि बीजापुर की पहचान सिर्फ नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि एक उभरते हुए पर्यटन हब के रूप में होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन मिलकर यहां के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए व्यापक योजना बना रहे हैं। आप जैसे युवाओं की यात्रा और फीडबैक हमें और बेहतर काम करने की दिशा में प्रेरित करता है,उन्होंने कहा। प्राकृतिक सौंदर्य-संस्कृति की अनमोल धरोहर
राइडर्स ने नबी वॉटरफॉल, जंगलों की हरियाली और स्थानीय संस्कृति की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि
बीजापुर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। आवश्यकता है तो केवल बेहतर आधारभूत ढांचे और सूचना प्रचार की। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि प्रशासन सहयोग करे तो बीजापुर भी देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल हो सकता है।
इस दौरान बैठक में डीएफओ रंगानाथन रामाकृष्णा वाय एवं इन्द्रावती टाइगर रिज़र्व के उपनिदेशक संदीप बल्गा भी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने भी पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई।