राज्य में वर्तमान में 23 हजार से ज्यादा सरपंच हैं और पंचों की संख्या तो लाखों में हैं। राज्य सरकार द्वारा अभी सरपंचों को मानदेय के रूप में 4250 रुपए दिए जा रहे हैं। पंचों को भी मानदेय दिया जा रहा है। प्रदेशभर के पंच सरपंच, सांसद-विधायकों के समान समय-समय पर मानदेय बढ़ाने की मांग करते रहते हैं।
विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने प्रदेश के पंच और सरपंचों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव पर प्रश्न पूछा। इसके जवाब में प्रदेश के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। विधायक मुकेश मल्होत्रा के प्रश्न के जवाब में मंत्री पटेल ने यह भी कहा कि
सरकार इसे स्वैच्छिक समाज सेवा का कार्य मानती है।
शिवराज ने की थी वृद्धि:
पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने 2023 में ग्रामोत्थान महापंचायत में जिला-जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यों, सरपंचों व पंचों के मानदेय में वृद्धि की घोषणा की थी। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय 3 गुना तक बढ़ा दिया था। तब सरपंच का मानदेय 1750 रुपए से बढ़ाकर 4250 रुपए प्रतिमाह किया गया था। उप सरपंचों और पंचों के 600 रुपए के वार्षिक मानदेय को तीन गुना बढ़ाकर 1800 रुपए किया था।