कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज तकनीक से होगा कमाल
आईसर के पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग के डॉ. ज्योतिर्मय मलिक ने बताया, इस तकनीक को कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज कहा जाता है। सीओटू को पानी में मिलाकर जमीन के नीचे खास चट्टानों में इंजेक्ट किया जाता है। वहां गैस खनिजों से मिलकर स्थायी रूप से चट्टान बन जाती है।आइसर की टीम डॉ. मलिक के नेतृत्व में डेक्कन ट्रैप्स नामक ज्वालामुखी चट्टानों में पहला सीओटू इंजेक्शन कुआं बना रही है। ये चट्टानें मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आसपास के बड़े हिस्सों में फैली हैं। सीओटू को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए बेहतर मानी जाती हैं।