फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से साफ इनकार
प्रदेश में ओबीसी को आरक्षण बढ़ाने के लिए 2019 में लाए गए कानून के क्रियान्वयन के लिए यह याचिका दायर की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। हालांकि कोर्ट ने मामले में फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी सीएस से 13 प्रतिशत होल्ड पदों पर निुयक्तियों के संबंध में जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका पर सुनवाई अन्य लंबित मामलों के साथ की जाएगी।
याचिकाकर्ता के वकील का आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार सार्वजनिक तौर पर 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्धता की बात जरूर करती है लेकिन कोर्ट में अपने ही कानून का विरोध कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने सुप्रीम कोर्ट से एक तय तिथि के साथ जल्द सुनवाई की मांग की थी लेकिन इस पर राज्य सरकार ने सहमति नहीं दी।
27 प्रतिशत आरक्षण संबंधी कानून पर शीर्ष अदालत की ओर से कोई रोक नहीं
याचिका में कहा गया कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण संबंधी कानून पर शीर्ष अदालत की ओर से कोई रोक नहीं लगाई गई है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) द्वारा पिछले सालों में की गई भर्तियों में 13 प्रतिशत पदों को होल्ड पर रखा है। याचिका में इन पदों पर तत्काल नियुक्ति की मांग की गई है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने वाले कुछ उम्मीदवारों का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर इस कानून को लागू नहीं कर रही है। बता दें कि मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण पहले 14 फीसदी था। सन 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। बाद में यह मामला अदालत में उलझ गया।