मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में ‘एमपी-टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव’ 2025 में प्रदेश के लिए डेडिकेटेड स्पेस-टेक नीति बनाने की घोषणा की थी। प्रदेश को भविष्य के स्पेस टेक्नोलॉजी और नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित करने की इस सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने के उद्देश्य से अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत “एमपी स्पेस-टेक नीति परामर्श: संभावनाएं और चुनौतियां” विषय पर हुए संवाद आयोजित किया गया।
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एसीएस दुबे ने आईआईटी इंदौर में हुए इस संवाद में कहा कि हमारी स्पेस-टेक नीति आधारभूत संरचना या नीतिगत प्रोत्साहनों तक ही सीमित नहीं रहेगी। यह नीति में संबंधित नवाचारों को प्रोत्साहन, प्रतिभाओं को राज्य में बनाए रखने और प्रदेश को स्पेस-टेक के क्षेत्र में एक सशक्त दावेदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
संवाद में डीन प्रो. अभिरूप दत्ता और निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि स्पेस-टेक केवल उपग्रहों तक ही सीमित नहीं है। यह इंजीनियरिंग, मटेरियल साइंस, डाटा मैनेजमेंट और राष्ट्रीय क्षमताओं का संगम है। विशेषज्ञों ने सपेस-टेक पॉलिसी निर्माण में रिमोट सेंसिंग और कोर स्पेस-टेक के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए जाने पर भी जोर दिया।