‘ज्वालामुखी योग और वृश्चिक नीच राशि के कारण हुआ हादसा’
पुजारी रामनारायण आचार्य का कहना है कि 11 जून को पूर्णिमा, बुधवार का दिन, ज्येष्ठ मास, ज्येष्ठा नक्षत्र वृश्चिक चन्द्र, वृषभ सूर्य, ग्रीष्म ऋतु तथा रात्रि में 8:14 मिनट से ज्वालामुखी योग प्रारंभ हुआ। यह रात्रि अंत तक रहा। यह सब एक दूसरे के प्रति कूल थे। पूर्णिमा पर चन्द्र पूर्ण होता है, चंद्रमा शीतला प्रदान करता है किन्तु वृश्चिक नीच राशि होने के कारण यह विपरीत था। ज्येष्ठ मास ने इन सभी को प्रभावित किया जिसके कारण वातावरण में अग्नि का स्वरूप तेज हो गया। मिथुन के गुरु बुधवार का दिन बुध चन्द्र दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। जिसके कारण चन्द्र पूर्णतः विपरीत तथा वृषभ के सूर्य की तपन, ज्वालामुखी योग के आधार पर गुरूवार प्रतिपदा सह दुतियां तिथि पूर्ण तिथियां नहीं थी। इन सभी स्थितियों ने 12 जून को अग्नि का स्वरूप धारण कर लिया। अनिष्ट की आशंका को देखते हुए किए थे उपाय
रामनारायण आचार्य का कहना है कि इस संबंध में श्री बांके बिहारी लाल जी मार्कडेण्य मंदिर में बुधवार 11 जून को चन्द्र दोष शान्ति, चन्द्र ग्रहण शान्ति, ज्वालामुखी योग दोष निवारण हेतु सभी को चार-पांच दिन पूर्व अवगत कराया गया था कि आप सभी मंदिर अथवा अपने अपने क्षेत्रों में गलंतिका समापन पर सायंकाल 7 से 8 के मध्य भगवान शंकर के समक्ष 108 घृत वत्तियों का दीपदान तथा सफेद सामग्रियों का दान करें। मंदिर में भक्त महिलाओं ने बड़ी संख्या में दीपदान तथा सफेद सामग्रियों का दान किया। सभी भक्तों ने गलंतिका समापन पर नर्मदेश्वर महादेव से सुख शांति की कामना की। भोलेनाथ ने भोपाल शहर में तो कृपा की, परन्तु घटना तो घटित होना थी वह अहमदाबाद शहर में में घटित हुई।