जल जीवन मिशन बना जल्दी-जल्दी-मनी मिशन
उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण जल जीवन मिशन का नाम बदलकर जल्दी-जल्दी-मनी मिशन बना दिया है। इस घोटले की सीबीआई जांच की जाए। ताकि रेट रिवाइज करने वाले अफसरों के साथ विभागों के प्रमुख सचिव, मंत्री और उनके स्टाफ पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।पहले से फेल था नल-जल योजना
उपनेता प्रतिपक्ष ने निशाना साधते हुए कहा कि नल जल योजना पहले से ही फेल थी, लेकिन जल्दी-जल्दी मनी डकारने के चक्कर में जल जीवन मिशन को भी लूट का अड्डा बना दिया। आगे हमला बोलते हुए कटारे ने कहा कि पीएचई के प्रमुख अभियंता कार्यालय के नोडल अधिकारी आलोक अग्रवाल ने ई-मेल से प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल डीपीआर का प्रारूप भेजकर निर्देशित किया है कि वह इसमें आंकड़े फीड कर भेज दें। उसी के आधार पर काम किया। जबकि होना यह चाहिए था कि डीपीआर फील्ड अलग से बननी थी।कमीशन पर होता था काम- हेमंत कटारे
हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन में जिस अधिकारी को जितने फंड की आवश्यकता थी। वह आलोक अग्रवाल और महेंद्र खरे से बात करके एक परसेंट कमीशन पहुंचा देता था। इसके बाद सीधे प्रमुख अभियंता से उसी दिन फंड जारी करा देते थे। अगर पीएचई के पूर्व प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया, आलोक अग्रवाल और महेंद्र खरे के मोबाइल नंबरों की सीडीआर, रिकॉर्डिंग की जांच की जाए तो इसका खुलासा हो जाएगा।उपनेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
जल जीवन मिशन में लोनिजर नाम का इंस्ट्रूमेंट खरीदने में घोटाला हुआ। नोडल अधिकारी के मौखिक निर्देश पर 4 हजार रुपए का यंत्र 70 हजार से 1 लाख रुपए में खरीदा गया। जबकि आईआईटी चेन्नई की रिपोर्ट के अनुसार इस यंत्र की कोई उपयोगिता नहीं थी।पुरानी पाइप लाइन बिछाकर नए बिल लगा दिए गए। जिसका खुलासा सीआईपीईटी की रिपोर्ट से हुआ। उसमें बताया गया कि ठेकेदारों ने थर्ड पार्टी टेस्टिंग तो कराई लेकिन हकीकत में माल नहीं उठाया।
मैन्युअल अनुसार टेंडर में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर नई टेंडर प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है। परंतु अधिकारियों ने सांठ-गांठ कर पुराने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया।
इस गंभीर अनियमितता में उप यंत्री एवं सहायक यंत्रियों को नोटिस जारी किए जबकि जिन कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री, मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता ने तकनीकी स्वीकृतियां दीं उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।