स्टरलाइजेशन करने वाली संस्थाओं पर निगरानी
दिल्ली नगर निगम की तर्ज पर भोपाल में भी नसबंदी किए डॉग्स की गर्दन में माइक्रोचिप्स लगाने की योजना है। इससे स्ट्रे डॉग के स्टरलाइजेशन में लापरवाही बरतने वाली संस्थाओं पर नकेल कसी जा सकेगी। चावल के दाने जितनी बड़ी इस चिप में डॉग की यूनिक आइडी सहित उसका पूरा बायोडेटा होता है। एक क्लिक से यह पता चलता है कि डॉग का स्टरलाइजेशन किस संस्था ने कब किया गया। डॉग की यूनिक आईडी वाली माइक्रोचिप डॉग के गर्दन में पीछे लगती है। (MP News)
क्या होगा माइक्रोचिप में?
माइक्रोचिप में डॉग का पूरा बायोडेटा होता है। डॉग को कहां से पकड़ा, किस स्टरलाइजेशन सेंटर में ले जाया गया। सर्जरी कब हुई और माइक्रोचिप लगाने वाले डॉक्टर का क्या नाम है। डॉग मेल है या फीमेल यह सब जानकारियां माइक्रोचिप में दर्ज होंगी। इससे नसबंदी में होने वाला भ्रष्टाचार रुकेगा।
बनाई गई प्लानिंग
जानकारी के अनुसार भोपाल प्रदेश का पहला जिला है, जिसने डॉग बाइट की घटनाओं को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। कार्य योजना के तहत जनवरी 2024 से जून 2025 तक हर माह डॉग बाइट की घटनाओं की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में हर साल 22 हजार डॉग्स नसबंदी की गई है।