कुत्तों के आतंक से कैसे मिले राहत, एमपी के कई शहरों में शेल्टर होम ही नहीं
Stray Dog: दिल्ली में आवारा कुत्तों(Stray Dog) के काटने की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 सप्ताह में कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्टिंग के निर्देश दिए। इससे दिल्ली-एनसीआर में तो लोगों को राहत मिलेगी, लेकिन मध्यप्रदेश में जिम्मेदारों की लापरवाही भारी पड़ेगी।
Stray Dog: दिल्ली में आवारा कुत्तों(Stray Dog) के काटने की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 सप्ताह में कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्टिंग के निर्देश दिए। इससे दिल्ली-एनसीआर में तो लोगों को राहत मिलेगी, लेकिन मध्यप्रदेश में जिम्मेदारों की लापरवाही भारी पड़ेगी। यहां कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। डॉग बाइट के केस भी बढ़ रहे हैं। लेकिन अधिकांश शहरों में कुत्तों के लिए शेल्टर होम ही नहीं है। नसबंदी भी नहीं हो रही है। नतीजा, हर शहर-बाजार, सड़क, गली में कुत्ते घूम रहे हैं। इंदौर में तो ऐसे 3 लाख कुत्ते हैं। यहां हर माह औसतन 5 हजार लोगों को काट रहे हैं। फिर भी जिम्मेदारों ने एक भी शेल्टर होम नहीं बनाए। भोपाल में 4, ग्वालियर व जबलपुर में 1-1 शेल्टर होम(Shelter Home) हैं।
राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 6 शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रतलाम को 2030 तक रैबीज फ्री सिटी बनाने का लक्ष्य है। इन शहरों में एनएचएम से हुए डॉग बाइट सर्वे में पता चला, इंदौर में जनवरी से जून 2025 तक 6 माह में ही 30,304 लोगों को कुत्तों ने काटा। दूसरे नंबर पर जबलपुर है। यहां 6 माह में डॉग बाइट के 13,619 केस आए। आबादी के अनुपात में रतलाम में सबसे ज्यादा डॉग बाइट हुई हैं।
कई जिलों में नसबंदी शुरू नहीं
(फोटो सोर्स : पत्रिका) प्रदेश में कुत्तों की नसबंदी पर सालाना 25 करोड़ खर्च हो रहे हैं, पर अधिकांश शहरों में नसबंदी शुरू नहीं हो सकी है। भोपाल में नसबंदी पर हर साल 3 करोड़ तो इंदौर में 2 करोड़ का बजट है। रतलाम, नीमच में 32-32 लाख खर्च हुए हैं। धार-खंडवा में नसबंदी हो रही है, पर शहडोल अनूपपुर, रायसेन, विदिशा, गुना, सीहोर, कटनी, खरगोन, बुरहानपुर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, दतिया, श्योपुर में नहीं हो रही है। अशोकनगर में आदेश के बाद भी नगरपालिका ने व्यवस्था नहीं बनाई।
अन्य राज्यों की स्थिति
(फोटो सोर्स : पत्रिका)
Hindi News / Bhopal / कुत्तों के आतंक से कैसे मिले राहत, एमपी के कई शहरों में शेल्टर होम ही नहीं