कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने यह कहकर डीजीपी के आदेश की खिलाफत की है कि बीजेपी के 31 प्रतिशत सांसद-विधायक आपराधिक प्रकरणों में लिप्त हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को सलामी देने पर पुलिस की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल उठेंगे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर बीजेपी ने भी तुरंत पलटवार किया। प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस के तो 58 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक केस हैं।
डीजीपी का आदेश वापस लेने का आग्रह
जीतू पटवारी ने सांसद विधायकों को सलामी देने संबंधी डीजीपी का आदेश वापस लेने का आग्रह किया। उन्होंने इसके लिए डीजीपी कैलाश मकवाना को पत्र लिखा है। जीतू पटवारी ने पत्र में यह तथ्य रेखांकित किया कि एमपी में बीजेपी के 31 प्रतिशत सांसद-विधायक आपराधिक प्रकरणों में संलिप्त हैं। पार्टी के 163 में से 51 विधायकों और 29 में से 9 सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज हैं। इनमें जैसे हत्या, दुष्कर्म, डकैती और अपहरण जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के मुताबिक राज्य की बीजेपी सरकार के कुल 31 में से 12 मंत्रियों पर भी आपराधिक केस चल रहे हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि के जनप्रतिनिधियों को पुलिस की सलामी से समाज में गलत संदेश जाएगा। पुलिस की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी।
बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस विधायकों की पोल खोल
डीजीपी को पत्र लिखकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष द्वारा बीजेपी सांसद और विधायकों के आपराधिक केस गिनाने पर प्रतिक्रिया भी सामने आ गई। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस के विधायकों के केस गिना दिए। उन्होंने कहा कि एमपी में कांग्रेस के 66 विधायकों में से 38 पर यानि कुल 58 प्रतिशत पर आपराधिक केस चल रहे हैं। इनमें से 17 विधायक यानि 26 प्रतिशत पर गंभीर अपराध दर्ज हैं। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस द्वारा नैतिकता और संवैधानिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का सम्मान, जनता का सम्मान होता है। राजशाही, सामंतवाद या परिवारवाद के सिद्धांतों पर विश्वास रखनेवाले कांग्रेसियों के लिए यह समझना कठिन हो सकता है।