राजधानी
भोपाल में करीब 368 सिटी बसों में से करीब 348 यानी 90 फीसदी बसें चलना बंद हो गयी हैं। बमुश्किल तीन दर्जन बसें नियमित रूप से चल रही हैं। कभी शहर के करीब 24 रूट्स पर नियमित बसें चल रही थीं। अब 6 रूट्स पर ही सिटी बसे हैं। इस वजह से करीब 5 लाख बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए सड़कों पर वाहनों के लिए भटकेंगी।
बस ऑपरेटर्स की मनमानी
● बीसीएलएल ने मां एसोसिएट, दुर्गमा एपी ट्रेवल्स, इन्क्यूबेट बस ऑपरेटरों को 300 बसों का टेंडर दिया था। बसें नहीं आयीं, लेकिन अनुदान बंट गया। ● बस ऑपरेटरों को औसतन 37 लाख की एक बस पर 50 लाख का अनुदान दिया गया। ● बीसीएलएल डायरेक्टर मनोज राठौर, महापौर मालती राय के कहने के बाद भी तीनों ऑपरेटरों ने महापौर पास को लागू करने से साफ इंकार कर दिया। ● बीसीएलएल बोर्ड के कहने के बाद भी मां एसोसिट्स ने 149 बसें डिपो में खड़ी कर दीं।
● बाकी ऑपरेटर्स ने भी 80 प्रतिशत वाहनों को डिपो में खड़ा कर दिया है। ● कुल मिलाकर करीब तीन दर्जन बसें ही इस समय विभिन्न रूटों पर चल रही हैं। ● करीब 149 बसें बागसेवनियां बस स्टैंड पर पार्क हैं।
रूट नंबर- कहां से कहां तक-बसें
● एसआर-2-कटारा हिल्स से नेहरू नगर-1 ● एसआर-4 बैरागढ़ चीचली से करोंद-2 ● एसआर-5 अवधपुरी से चिरायु हॉस्पिटल-2 ● एसआर-8 बैरागढ़ चीचली से कोच फैक्टरी-1 ● टीआर-1 आकृति से चिरायु हॉस्पिटल-1 ● टीआर-3 अयोध्या नगर से नारियलखेड़ा-1 ● टीआर-4 चिरायु हॉस्पिटल से मंडीदीप-1 ● टीआर-4बी गांधीनगर से मंडीदीप (वर्धमान)-2 ● रूट115 गांधीनगर से अयोध्या नगर-1
● रूट116 बंगरसिया से पुतलीघर-1 ● रूट204 भौंरी से मंडीदीप-2 ● रूट 208 कोकता से लालघाटी-2 ● रूट 306 एस से लालघाटी-2 ● रूट 403 सूखी सेवनिया से नेहरूनगर-1 ● रूट 413 सैर सपाटा से कोकता ट्रांसपोर्ट नगर-1
● रूट 404 मुबारकपुर चौराहा से एस कटारा हिल्स-1 ● टीआर-3 नारियलखेड़ा से अयोध्या नगर-1 ● टीआर-4 चिरायु हॉस्पिटल से मंडीदीप-1 ● रूट 309 अर्चना होस से लांबाखेड़ा-2 ● रूट 402 इसरो से कजलीखेड़ा-1
इन रूट्स पर एक भी बस नहीं
● रूट 303 अयोध्या नगर से रंगमहल ● रूट 304 नादरा से नीलबड़ ● रूट 307 रानी कमलापति से ओरिएंटल कॉलेज ● रूट 308 सुमित्रा परिसर से एस
व्यवस्था का प्रयास किया जा रहा है
बस ऑपरेटर्स की शिकायतें सीएम ऑफिस को की गई है। रक्षाबंधन के दिन बहनों को असुविधा न हो, इसकी व्यवस्था का प्रयास किया जा रहा है। निगम के अफसर अब जिम्मेदारी लेने से बचते फिर रहे हैं। –मनोज राठौर, डायरेक्टर, बीसीएलएल