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भोपाल

15 रुपए वाला ‘मैंगो शेक’ बिल्कुल न पीएं, हो जाएंगे डायरिया के शिकार

MP News: शहर में 12 प्रतिशत ने ही फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट के तहत फूड लाइसेंस ले रखा है।

भोपालJun 15, 2025 / 03:00 pm

Astha Awasthi

(फोटो सोर्स: पत्रिका)

(फोटो सोर्स: पत्रिका)

MP News: एमपी में भोपाल शहर के लोगों की सेहत से गन्ने का जूस, नीबू पानी, आम का पना और आम का जूस बेचने वाले खिलवाड़ कर रहे हैं। ठंडक के नाम पर अमानक और अन हाइजेनिक जूस पीकर लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं। शहरभर में करीब 1800 गन्ने की चरखियां गन्ने का जूस बेच रही हैं। लेकिन इनमें से महज 12 प्रतिशत ने ही फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट के तहत फूड लाइसेंस ले रखा है। नगर निगम एक चरखी का मासिक शुल्क आठ हजार लेता है, पर निगरानी तंत्र पूरी तरह फेल है।

10-15 रुपए में कैसे तैयार होगा जूस

गन्ने का रस, नींबू पानी, आम शेक और जूस के स्टॉल पर गर्मी से राहत देने के बैनर टंगे हैं। स्टॉल पर बेहद सस्ते दामों पर जूस बिक रहा है। 10 से 15 रुपए में आम जूस मिल रहा है। जबकि, आम 50 रुपए किलो है। जाहिर है रसायन युक्त आम फ्लेवर का केमिकल पिलाया जा रहा है।

100 रुपए में फूड लाइसेंस

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट के अनुसार, जिनका दुकानों का सालाना कारोबार 12 लाख रुपए से कम है वे मात्र 100 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस देकर फूड कारोबार कर सकते हैं। करीब 28 हजार रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। करीब 6 हजार व्यापारी फूड लाइसेंस लेकर जूस व ठंडे पेय सामग्री की बिक्री कर रहे हैं। भोपाल टॉकीज, बुधवारा, एम्स और इंद्रपुरी से मैंगो शेक व जूस के सैंपल लिए। इनमें मिलावट और खराब क्वालिटी मिले हैं।
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इसलिए सेहत के लिए नुकसानदेय

● रजिस्ट्रेशन फीस और निगरानी बहुत कम है, जिससे आसानी से स्टॉल लग जाता है
● फलों की घटिया क्वालिटी, अधिक लाभ कमाने के लिए सस्ते, सड़े या अधपके फलों का उपयोग

● स्वच्छता का अभाव, गंदगी से तैयार करते हैं जूस

जागरुकता जरूरी

● हमेशा ढंके हुए जूस स्टॉल से ही रस लें
● एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस नंबर जांचें

● जूस के स्वाद और रंग का ध्यान दें

● खुला बर्फ और बिना फिल्टर पानी से बने जूस से बचें

जूस व रस बेचने वाले सभी विक्रेताओं की जांच जारी है। जिनके सैंपल में मिलावट या खराब क्वालिटी पाई जाएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लाइसेंसधारी व अवैध विक्रेताओं की सूची तैयार की जा रही है। खाद्य सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।- डीके वर्मा, जिला अभिहित अधिकारी, भोपाल

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