मुख्यमंत्री यह बात कह चुके हैं। ऐसे में छोटे-छोटे विषयों पर असहमति नहीं जतानी चाहिए, बल्कि दोनों तरफ से कुछ विषयों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए, तभी बात बनेगी। ऐसा नहीं कर पाए तो हम सबको मुश्किल होगी।
2016 से अटकी
प्रदेश में 2016 से पदोन्नति नहीं हो पा रही है। लाखों कर्मचारी बगैर पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त हो गए। क्रम जारी है। इसे देखते हुए सीएम ने अप्रेल में पदोन्नति की घोषणा की थी। इससे कर्मचारी जगत में खुशी का माहौल है। हाल में मंत्रालय परिसर में हुए सम्मान समारोह में भी सीएम ने बात दोहराई है, लेकिन नए ड्राफ्ट पर कुछ कर्मचारी संगठनों में सहमति नहीं बन पा रही। ये भी पढ़ें:
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-किसी भी वर्ग के क्रीमीलेयर के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न मिले।
-जिन्हें पदोन्नति मिल चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिवर्ट करने की बात कही थी, उनके मामले में स्टेटस को रखा जाए। ऐसे कर्मियों को पदोन्नत न किया जाए। -जो आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी में आए, उन्हें अनारक्षित पदों पर पदोन्नत न किया जाए।
मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संगठन (अजाक्स)
-2002 के नियम व सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश गोरकेला प्रस्ताव से अलग जाकर पदोन्नति नहीं चाहते। -पूर्व में जिन्हें पदोन्नति मिल चुकी है, उन्हें रिवर्ट न किया जाए। -पहले अनारक्षित पदों के लिए डीपीसी हो, उसके बाद एसटी और फिर एससी के पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की जाए।
ये प्रतिनिधि रहेंगे मौजूद
सीएस की बैठक में अजाक्स की ओर से एसएल सूर्यवंशी, मंत्रालय अजाक्स संघ के भगवानदास भकोरिया व सपाक्स की ओर से डॉ. केएस तोमर, राजीव खरे व अन्य ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर बिंदुओं पर अजाक्स की ओर से सहमति दी गई। कई बिंदुओं पर सपाक्स ने सहमति नहीं दी। बताया जाता है कि ड्राफ्ट पर कर्मचारियों को दोबारा सुना जा सकता है। जिम्मेदारी एसीएस संजय दुबे को दी है।