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ज्ञापन के अनुसार इस घोटाले का खुलासा स्वयं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव शुक्ला ने 30 सितंबर 2024 को दिए अपने प्रतिवेदन में किया था। शिवशंकर तिवारी मूल रूप से एमपीडब्ल्यू पुरुष सुपरवाइजर के पद पर हैं। उन्होंने अपनी अधिकारिक क्षमता से बाहर जाकर शहरी संजीवनी क्लीनिकों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लाखों रुपए फर्जी बिलों और वाउचरों के आधार पर आहरित किए और खर्च कर दिए।
यहां बिना अनुमति खर्च
ज्ञापन के मुताबिक संजीवनी क्लीनिक कुठुलिया में 3.76 लाख, रतहरी में 4 लाख, चोरहटा में 3.98 लाख, ढेकहा में 96 हजार, चिरहुला मंदिर में 4.07 लाख, रानीतालाब में 1.33 लाख, विवि क्षेत्र में 1.09 लाख, बोदाबाग में 3.26 लाख और अन्य स्थानों पर भी बड़ी राशियां सीएमएचओ की अनुमति के बिना खर्च की गईं। कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि तिवारी ने 12 आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति भी बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के की। इस नियुक्ति में न तो कोई अनुमोदन लिया गया और न ही नियमानुसार आदेश जारी किए गए। यहां तक कि संबंधित आउटसोर्स कंपनी ने भी इस पर आपत्ति जताई है। सीएमएचओ की रिपोर्ट में इन सभी अनियमितताओं की स्पष्ट पुष्टि की गई है। ये भी पढ़े –
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कांग्रेस नेताओं ने शिवशंकर तिवारी पर उच्च न्यायालय को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने विभिन्न हलफनामों में अपने मूल पद को लेकर विरोधाभासी बयान दिए हैं – एक में स्वयं को एमपीडब्ल्यू पुरुष सुपरवाइजर बताया, तो दूसरे में शहरी कार्यक्रम प्रबंधक। इस गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता पर कांग्रेस ने सीबीआई स्तर की जांच और दोषी कर्मचारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की है।