पहले से प्रस्तावित ब्रिज का बदला गया स्वरूप
बता दें कि एमपी के पहले सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज को बनाने के लिए 88.40 किमी लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे पर पहले से ही प्रस्तावित पुल का स्वरूप बदला गया है। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने राजस्थान और एमपी के बीच इस सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज को बनाने का निर्णय लिया है।
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में बनेगा ब्रिज
यह सिक्स लेन केबल स्टे ब्रिज मध्य प्रदेश के अभयारण्य क्षेत्र में एक किलोमीटर तक बनेगा, वहीं 2 किमी तक इको सेंसेटिव जोन से गुजरेगा। इसके लिए एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए एनओसी मिल चुकी है।
हाईवे के लिए मिली मंजूरी
राजस्थान में भी ये ब्रिज एक किलोमीटर तक अभयारण्य की सीमा क्षेत्र में फिर करीब 9 किमी की संरक्षित सीमा में हाईवे के लिए भी एनओसी मिल चुकी है। एमपी के मुरैना में शनिश्चरा क्षेत्र में भी करीब 1.5 किलोमीटर के वन क्षेत्र से ये एक्सप्रेस वे गुजरेगा। इसके बदले वन विभाग को 1.5 करोड़ रुपए भी दिए जा चुके हैं।
प्रयागराज के नैनी केबल स्टे ब्रिज की तरह दिखेगा
मध्य प्रदेश में तैयार होने वाला पहला सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज ठीक वैसा ही नजर आएगा जैसा कि उत्तरप्रदेश के नैनी केबल स्टे ब्रिज है। फर्क सिर्फ इतना होगा कि इस पर नैनी ब्रिज की तरह लाइटिंग की सजावट के कारण ये ब्रिज दमकता नजर नहीं आएगा। चूंकि इसका क्षेत्र अभयारण्य में है, इसलिए इस पर लाइटिंग नहीं की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रालय और वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी ने दी एनओसी
बता दें कि आगरा से ग्वालियर तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण को लेकर टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसी एक्सप्रेस वे पर सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज का सुपर स्ट्रक्चर तैयार किया जाना प्रस्तावित है। एनएचएआई के मैनेजर प्रशांत मीणा के मुताबिक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड ने तीन दिन पहले ही इसके लिए एनओसी दी है। अब एक्सप्रेस-वे और सिक्स लेन केबल स्टे ब्रिज का काम नवंबर 2025 तक शुरू किया जा सकता है।
क्या होता है केबल स्टे ब्रिज
केबल स्टे ब्रिड में पुल के डेक को टावर से जोड़ने के लिए केबल्स का यूज किया जाता है। ये केबल्स पुल का सारा भार ऊपर की ओर खींचते हैं, वहीं इन्हें नीचे की ओर से विशाल स्तंभों का सपोर्ट भी मिलता है, जिससे ये स्ट्रॉन्ग बनाए जाते हैं। केबलों का उपयोग किए जाने के कारण ही इन्हें केबल स्टे ब्रिज कहा जाता है।
केबल स्टे ब्रिज की खासियत
ऐसे ब्रिज की सबसे बड़ी खूबी होती है कि इनका स्ट्रक्चर स्टेबल होता है। ये तेज हवा या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के प्रति रेजिटेंट पावर रखते हैं। और जल्दी से टूटते नहीं हैं। केबल स्टे ब्रिज को बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले केबल्स ही पुल को मजबूत स्ट्रक्चर देते हैं और इसे ज्यादा से ज्यादा भार झेलने लायक बनाते हैं। केबल ब्रिज के निर्माण की लागत को ध्यान रखा जाए तो भी ये ब्रिज अन्य ब्रिज के मुकाबले फायदे का सौदा होते हैं। विशेष तौर पर लंबी दूरी के ब्रिज के रूप में इनकी सफलता मायने रखती है।
केबल स्टे ब्रिज का डिजाइन इन्हें खास बनाता है। अक्सर जिन शहरों में ऐसे ब्रिज होते हैं, वे शहर टूरिज्म के साथ ही विकास को लेकर प्रमुख स्थानों में शामिल हो जाते हैं।
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