राजधानी में ही सांदीपनी के आठ स्कूलों में तीन सौ करोड़ खर्च हो चुके हैं। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडाइंस) रिपोर्ट के खुलासे चौकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के निजी व सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं तक वर्ष 2024-25 में करीब 1.50 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों का पंजीयन था। इनमें से एक करोड़ 41 हजार ही स्कूलों में लौटे हैं।
48 जिलों से पीछे भोपाल
स्कूलों में बच्चों को रोक कर रखने में भोपाल फेल है। निवाड़ी, पांढुर्ना, बड़वानी, होशंगाबाद, उमरिया, मैहर सहित 48 जिलों से भोपाल पीछे हैं। नामांकन में भोपाल का नंबर प्रदेश में 49वां है। टॉप 10 जिलों में पहले नंबर पर निवाड़ी, पांढुर्ना, बड़वानी, होशंगाबाद, उमरिया, मैहर, शिवपुरी, हरदा, इंदौर, छिंदवाड़ा, अनूपपुर, मंडला, भिंड, खंडवा, सिंगरौली, उज्जैन, रायसेन, नीमद, बालाघाट, खरगोन शामिल हैं।
ये हैं आंकड़े
1,21,954: प्रदेश में स्कूल निजी और सरकारी 1,50,32,810: बच्चों का रजिस्ट्रेशन 1,00,41,730: रजिस्ट्रेशन प्रोवेशन पेडिंग 6,70,182: किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं लेने वाले 19,660: प्रदेश में शत-प्रतिशत एडमिशन वाले