शिविर का ये उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्म परिचय, शब्दावली निर्माण, वास्तविक जीवन की बातचीत का अभ्यास, आत्मविश्वास निर्माण आदि पर ध्यान केंद्रित करना है। कहर बरपा रही गर्मी भीलवाड़ा जैसे शहर में भी गर्मी के कारण लोगों के हाल बुरे हैं। विद्यार्थियों का ग्रीष्मकालीन शिविरों में रुचि नहीं लेने के पीछे एक यह भी बड़ा कारण है। पहले ही दिन शिविरों की पोल खुल गई, जबकि परिषद के आदेशों के मुताबिक अगले सात दिन तक विद्यार्थियों को हाजिरी देनी है। यही नहीं, हर स्कूल में कम से कम 75 से 100 विद्यार्थियों की उपिस्थति आवश्यक बताई गई है।
शिक्षक संघों ने किया विरोध शिक्षक नेता नीरज शर्मा ने ग्रीष्मकालीन शिविरों के टाइमिंग को लेकर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि गर्मियों की छुट्टियों में ऐसे शिविरों का आयोजन तर्कसंगत नहीं है। बेवजह शिक्षकों और विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ेगा। शर्मा ने शिक्षा निदेशक के नाम पत्र लिखकर स्कूलों में भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन जून की बजाय जुलाई माह में कराने की मांग की है।
ये कहा अधिकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र गग्गड़ का कहना है कि राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का यह आदेश डाइट को मिला है। शाहपुरा डाइट के पूर्व प्रभारी सत्यनारायण नागर का कहना है कि 10 जून को ही शिविर लगाने के आदेश मिले हैं। हुरड़ा क्षेत्र में 4 से 5 विद्यालयों में शिविर चल रहे हैं। डाइट का कार्यभार जगदीश नायाराण मीणा ने संभाल लिया है।