खरीफ सीजन की फसल खरीफ सीजन में मक्का 1.90 लाख, कपास 30 हजार, मूंग 10 हजार, उड़द 65 हजार, सोयाबीन 9 हजार तथा अन्य फसल शामिल है। मानव स्वास्थ्य पर असर किसानों को मक्का समेत अन्य फसलों में एक एकड़ में दो बोरी यूरिया की जरूरत है। वे ज्यादा उत्पादन के लोभ में बेहिसाब यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे पौधे की ग्रोथ समय से ज्यादा होने पर फसल लेट हो रही है। फसल की लागत दोगुनी हो रही है। ये उपज जब मानव आहार बनती है तो उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
मृदा कार्बनिक के साथ जिंक की सर्वाधिक कमी जिले के किसानों से उनके खेतों की मिट्टी के नमूने लिए गए। कृषि अधिकारियों के मुताबिक नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की कमी भी बनी हुई है, जिसे किसान अनदेखा कर रहे हैं। यूरिया के इस्तेमाल से केवल नाइट्रोजन व डीएपी से नाइट्रोजन, फास्फोरस की पूर्ति होती है। पोटाश, जिंक की कमी बनी रहती है।
किसानों को दी जा रही सलाह प्रयोगशाला के अनुसार वर्ष 2024-25 में मिट्टी के 19773 तथा पानी के 1191 नमूने लिए। इनमें पोषक तत्वों की कमी पाई गई है। मिट्टी के 19773 नमूनों की जांच में 9193 में नाइट्रोजन की कमी, 6278 मध्यम तथा 4302 उच्च स्तर के नमूने पाए। मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों के 18725 नमूनों में 4113 में जिंक की कमी। 6007 में आयरन की, 464 में मैंगनीज की कमी, 30 में कॉपर की कमी पाई गई है। पानी के 1191 नमूनों में से 526 सामान्य, 356 लवणीय, 49 क्षारीय, 260 लवणीय- क्षारीय के पाएं गए। फॉस्फोरस के 1744 नमूने निम्न, 9876 मध्यम तथा 8153 नमूने उच्च स्तर के पाए। पोटैशियम के 1202 नमूने मध्यम तथा 18571 नमूने उच्च स्तर के पाए गए।