स्कूल परिसर पूरी तरह से कीचड़ में तब्दील हो जाता है। बरसात के मौसम में हालात और बिगड़ जाते हैं। बच्चों को स्कूल पहुंचने में न सिर्फ दिक्कत होती है, बल्कि उनके कपड़े और जूते भी खराब हो जाते हैं। हालांकि कक्षा-कक्ष में जाने के लिए एक पगडंडी बना रखी है। स्कूल के पास से गुजर रही मेजा नहर भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। जब भी नहर में पानी छोड़ा जाता है, वह स्कूल के मैदान में भर जाता है। इससे विद्यालय परिसर जलभराव से जूझता है और बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
11 में से आठ कमरे सील, सिर्फ दो में चल रही कक्षाएं विद्यालय में कुल 11 कमरे हैं, जिनमें से 8 कमरे, शौचालय और बरामदे को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। शेष बचे दो कमरों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। एक अतिरिक्त कमरा ऑफिस व मिड डे मील के काम में लिया जा रहा है।
शिक्षकों की कमी भी बनी बाधा स्कूल में कुल 7 शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन इनमें से 2 शिक्षक बूथ लेवल अधिकारी के रूप में मतदाता सूची तैयार करने जैसे कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इससे शैक्षणिक कार्य और अधिक प्रभावित हो रहा है।
प्रभारी का दावा: दो पारी में स्कूल संचालन का प्रस्ताव भेजा विद्यालय की प्रभारी सारिका चतुर्वेदी का कहना है कि स्कूल को दो पारी में संचालित करने का प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि छात्रों को थोड़ा राहत मिल सके। हालांकि अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय निवासियों की मांग स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों की मांग है कि स्कूल की स्थिति पर शीघ्र संज्ञान लिया जाए। प्रशासन को चाहिए कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करते हुए, स्कूल को दुरुस्त कर तुरंत शिक्षा व्यवस्था सामान्य की जाए।
स्कूल की जमीनी हकीकत
- – कुल कमरे 11
- – सील कमरे 8, शौचालय तथा बरामदा
- – कार्यरत कमरे 3 (दो कक्षा, एक ऑफिस व मिड डे मील)
- – शिक्षक 7, बीएलओ के रूप में कार्यरत 2
- – मुख्य खतरा: मेजा नहर से जलभराव