1995 को गया था नागपुर
1995 को महज 22 साल की उम्र में शारीरिक शिक्षक बनने का ख्वाब लिए वह नागपुर, महाराष्ट्र में बीपीएड करने के लिए निकला था। तब उसके दो साल की इकलौती बेटी थी। करनाराम के दो अन्य भाइयों ने अपने भाई की बेटी के हाथ पीले कर ससुराल तो भेज दिया, लेकिन उसे भी अपने पिता का प्यार और साया नसीब नहीं हो सका। दोनों बहनें बताती हैं कि हम भाई-बहनों में सबसे छोटा एवं पढ़ाई में होशियार होने के कारण सरकारी नौकरी की आस में वह ट्रेनिंग करने गया था। हम विगत तीस वर्षों से भाई की घर वापसी का इंतजार कर रही हैं। हम अपनी भतीजी राजो को भाई के नाम की राखी बांधकर उसकी वापसी के लिए दिल को दिलासा दे देती हैं।
करनाराम के बारे में दस पन्द्रह दिनों तक परिजनों को उसकी खबर नहीं मिली। तब उन्होंने पूछताछ शुरू की। पहचान वालों और उसके कई साथियों से जानकारी लेने पर उसके बारे में पता नहीं लगा। उसके भाई हीराराम ने चौहटन पुलिस थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस और परिजनों द्वारा कई महीनों तक उसकी छानबीन करने के बावजूद आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।