बता दें कि ट्रेन गुजरने के बाद डॉक्टर का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला। पुलिस ने शव के टुकड़ों को एक चादर में समेटकर बालोतरा अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया।
मानसिक अवसाद में था डॉक्टर
थाना अधिकारी एएसआई करनाराम ने बताया कि मृतक की पहचान कालूड़ी बालोतरा निवासी डॉ. प्रदीप सिंह राजपुरोहित (35) के रूप में हुई है। परिवारजनों के अनुसार, वह लंबे समय से मानसिक अवसाद में थे और एमबीबीएस करने के बावजूद किसी प्रकार की नौकरी नहीं कर रहे थे। नौ साल पहले उनकी शादी हुई थी।
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कालका एक्सप्रेस ट्रेन से हुआ हादसा
सोमवार शाम करीब पांच बजे वे घर से निकले और रेलवे ट्रैक की ओर चले गए। शाम 7:12 बजे जब जोधपुर से बाड़मेर की ओर जा रही कालका एक्सप्रेस ट्रेन पास पहुंची तो उन्होंने पेट के बल पटरी पर लेटकर जान दे दी।
सिर और हाथ अलग हुए
ट्रेन गुजरते ही सिर और दोनों हाथ धड़ से अलग हो गए। हादसे के कारण ट्रेन करीब 25 मिनट तक मौके पर रुकी रही। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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पुलिस शव के टुकड़े इकट्ठा किए
सूचना पर बालोतरा थाने से पुलिस टीम मौके पर पहुंची। वहां का दृश्य इतना भयावह था कि मौजूद लोग और पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए। शव के टुकड़े रेलवे ट्रैक पर कई स्थानों पर बिखरे थे। पुलिस ने सावधानीपूर्वक शरीर के टुकड़ों को इकट्ठा कर और एक चादर में लपेटकर बालोतरा राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में भेजा।
यह हादसा सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि समाज के उस कोने को उजागर करता है। जहां मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज किया जाता है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति, जिसने वर्षों की मेहनत से डॉक्टर की डिग्री हासिल की, यदि समय पर उचित परामर्श, सहारा और इलाज नहीं पा सके, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।